यह भी पढ़ें : लाल आतंक : नक्सलियों का स्थापना सप्ताह 21 से, ट्रेनों पर हो सकता है हमला! अलर्ट मोड पर पुलिस ऐसी घटनाएं न हो, यह जिम्मेदारी निगम प्रशासन की है। क्योंकि नगर निवेशक विभाग ही नक्शा पास करता है। तो नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी भी उसी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की है। यदि नियमों का पालन करा लिया गया होता तो ऐसी दर्दनाक घटना नहीं होती। क्योंकि नक्शा स्वीकृति के आदेश में नियम-शर्तों का पालन अनिवार्य लिखा हुआ होता है।
यह भी पढ़ें : छत्तीगढ़ में महिलाओं को मिला 33% आरक्षण, पुलिस के राजपत्रित पदों पर भर्ती में मिलेगा इन नियमों का लाभ हैरानी ये कि लाखेनगर के जिस जगह दो मासूमों की जान निर्माण के बेसमेंट में लबालब भरे पानी में डूब जाने से हुई है, उसके दोनों तरफ मकान बने हुए हैं। पीछे तरफ जगह खाली पड़ी हुई है, फिर भी उस खतरनाक जगह का कोई घेराव नहीं कराया गया है। ऐसा ही हाल सड़कों पर खतरनाक गड्ढों के कारण कब बड़ा हादसा हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है। निगम के जिम्मेदार एसी कमरों में बैठकें करके केवल हादसे रोकने की बातें ही कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें : Ganesh Chaturthi 2023 : रायपुर के अनेक स्थानों में विराजे मंगलमूर्ति, इस रूपों में दिखे विघ्नहर्ता….देखें तस्वीरें घोर लापरवाही का नतीजा निगम में नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे एवं भाजपा पार्षद दल के प्रवक्ता मृत्यंजय दुबे ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि निगम प्रशासन के घोर लापरवाही का नतीजा है। बारिश के समय 10 से 15 फीट बेसमेंट की खुदाई करके छोड़ दिया गया था, ऐसी जगहों पर निगम के नगर निवेशक विभाग के जिम्मेदारों को नजर रखनी चाहिए। लेकिन, निगम में भर्राशाही का आलम है।
जोन ऑफिस से ठीक पीछे हुआ हादसा नगर निगम के जोन-5 कार्यालय के ठीक पीछे यह दर्दनाक हादसा हुआ है। जबकि इस कार्यालय में पूरा अमला बैठता है। निर्माण का नक्शा पास भी इसी कार्यालय से हुआ। फिर भी सुरक्षा को लेकर घोर लापरवाही बरती गई।