कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार पूछा है कि क्या इस तरह से किसी भी व्यक्ति के निजता के अधिकार का हनन किया जा सकता है। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने राज्य सरकार को सारे मामले में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि इसमें यह भी स्पष्ट किया जाये कि फोन की टैपिंग का आदेश किसने दिया और किन कारणों से दिया गया।
आईपीएस अधिकारी का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता के खिलाफ अलग से प्राथमिकी दायर किये जाने पर भी नाराजगी व्यक्त की और अधिवक्ता के खिलाफ जांच पर रोक लगा दी। पीठ ने कहा कि इस मामले में अगले आदेश तक कोई दण्डात्मक कदम नहीं उठाया जायेगा। पीठ ने आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी से कहा कि इस मामले में छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम घसीट कर इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाये।
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आपको बता दें की मुकेश गुप्ता चर्चित नान घोटाला कांड की वजह से सुर्ख़ियों में आये। उन्होंने हालही में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर भूपेश बघेल की सरकार पर उनका और उनकी बेटियों का फ़ोन टैप करने का आरोप लगाया था।