वहीं,
प्रदेशभर नगरीय निकायों में कार्यरत अनियमित कर्मचारियों ने 11 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल करने का निर्णय लिया है। दरअसल, शासन ने कर्मचारियों की समस्याओं के निराकरण के लिए बनाई कमेटी द्वारा बैठक में नहीं बुलाने और सरकार के मंत्रियों से लेकर मंत्रालय में बैठक आला अधिकारियों को उनकी एक भी मांग पूरी नहीं की जा रही है। अनियमित कर्मचारी सरकार से सिर्फ एक ही मांग कर रहे हैं कि शासन के अन्य विभागों की तरह निकाय से ही उन्हें सीधे वेतन का भुगतान किया जाए, लेकिन सरकार उनकी एक मांग को भी पूरी नहीं कर रही है।
सीधे भुगतान से निकायों का पैसा बचेगा
अनियमित
कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजय एड़े ने बताया कि प्रदेश भर के निकायों में कार्यरत अनियमित कर्मियों के साथ 11 नवंबर से अनिश्चितकालीन का निर्णय लिया है। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि अनिमित कर्मियों की समस्याओं और मांगों के निराकरण के लिए कमेटी गठित की जाएगी, लेकिन जो कमेटी गठित की है, उनके अध्यक्ष बैठक में बुलाते ही नहीं है।
हमारी सरकार से फिलहाल सिर्फ एक ही मांग है कि वन, पीएचई और पीडब्ल्यूडी विभाग की तरह नगरीय निकायों में कार्यरत अनियमित कर्मियों को भी निकाय ही वेतन दें। इस फैसले से निकाय और शासन पर कोई अतिरिक्त भार नहीं आएगा, बल्कि शासन का ठेकेदार को दिया जाने वाला कमीशन भी बचेगा।
आचार संहिता के कारण हड़ताल स्थगित
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के प्रमुख कमल वर्मा ने बताया कि रविवार को फेडरेशन की बड़ी बैठक हुई, जिसमें कर्मचारियों के मुद्दे पर लंबी चर्चा हुई। बैठक में उपचुनाव और फिर प्रस्तावित नगरीय निकाय उपचुनाव को देखते हुए हड़ताल को टालने का फैसला लिया। बैठक में
कर्मचारियों के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में व्याख्याता नित्यानंद यादव पर हुई कार्रवाई को अनुचित बताया गया। फेडरेशन की बैठक में नित्यानंद यादव के निलंबन के मुद्दे पर बहाली का मांगपत्र सौंपने का फैसला लिया गया है।