रायपुर

बेटी जन्मी है देखकर जमीन में गाड़ दिया था, फिर हुआ ये चमत्कार! पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित गुलाबो की कहानी..

kalbeliya dancer Gulabo Sapera : जब मुझे मिट्टी से निकाला गया तो मेरी सांसें चल रही थीं। यह बताया पद्मश्री गुलाबो सपेरा ने। साल 2016 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया..

रायपुरNov 01, 2022 / 04:29 pm

Karunakant Chaubey

बेटी जन्मी है देखकर जमीन में गाड़ दिया था, फिर हुआ ये चमत्कार! पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित गुलाबो की कहानी..

हमारे समाज में लड़कियों को (kalbeliya dancer Gulabo Sapera) पैदा होते ही जमीन में गाड़ दिया जाता है। मेरे घर में मैं सातवें नंबर की थी। पहले ही तीन लड़कियां थीं। पिता दुर्गा और चामुंडा के पुजारी थे इसलिए वे समाज के इस नियम को नहीं मानते थे। जब मैं पैदा हुई वह धनतेरस का दिन था। पिता अजमेर गए थे।
समाज की महिलाओं ने कहा कि इसकी तो पहले ही तीन बेटियां हैं। इसका क्या करेंगे। रिवाज के मुताबिक मुझे जंगल में ले जाकर गाड़ दिया गया। मां को होेश आया तो पूछा कि मेरा बच्चा कहां है। उन्हें बताया गया कि जहां से आया वहां भेज दिए हैं। मां रोते हुए बोलीं कि हमारे यहां बेटियों को मारने वाला रिवाज नहीं मानते। मां गिड़गिड़ाती रहीं कि कोई तो बेटी के बारे में बताए लेकिन सब चुप थे।
मेरी मौसी को पता था कि बेटी को कहां ले जाया गया है। मां ने मौसी के कहा कि तेरी तो एक भी बेटी नहीं है तू ही रख लेना। मौसी ने कहा कि पांच घंटे हो गए हैं अब तक तो वह मर गई होगी। मां ने कहा मेरा विश्वास कहता है कि वह जिंदा है। रात बारह बजे मां और मौसी वहां गए जहां मुझे गाड़ा गया था। जब मुझे मिट्टी से निकाला गया तो मेरी सांसें चल रही थीं। यह बताया पद्मश्री गुलाबो सपेरा (Padma Shri awardee Gulabo Sapera) ने। साल 2016 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया। वे एक कार्यक्रम में शामिल होने रायपुर आईं थीं।
बिग बॉस सीजन 5 में पहुंचीं

कालबेलिया डांस (kalbeliya danc) के चलते मुझे बिग बॉस सीजन 5 में मौका मिला। वहां मैंने अपनी संस्कृति को प्रमोट किया। बाकी कंटेस्टेंट अपना काम कर रहे थे मैं अपना। मैंने शो में डांस की प्रस्तुति भी दी। जितने भी कंटेस्टेंट थे सभी से मेरी दोस्ती हो गई थी। हालांकि इससे पहले मैंने बॉलीवुड फिल्म ‘गुलामी’ और ‘बंटवारा’ में भी कालबेलिया डांस किया था।
कालबेलिया मैंने ही शुरू किया

कालबेलिया नृत्य सिर्फ महिलाएं ही करती हैं। इसकी शुरुआत मुझसे ही हुई। मैंने इसे कहीं से सीखा नहीं। पिता के साथ जाया करतीं और बीन की धुन पर नाचा करती थीं। आज ये डांस देशभर में काफी पॉपुलर है।

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