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अभी दो स्ट्रेन को आधार मानकर इलाज
सिम्स के कैंसर डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. चंद्रहास ध्रुव के अनुसार अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग स्ट्रेन हो सकता है। वर्तमान में दो ही स्ट्रेन को आधार मानकर इलाज करने से सभी मरीजों पर यह कारगर नहीं हो सकता, लिहाजा क्षेत्रानुसार इस पर शोध जरूरी है। यही वजह है कि इस पर 6 सदस्यीय डॉक्टरों की टीम गठित कर गहनता से शोध शुरू किया गया है। इसके लिए राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले सर्वाइकल कैंसर मरीजों का ‘पैप स्मियर टेस्ट’ के माध्यम से स्ट्रेन को परखा जा रहा है।टीम में ये शामिल…
- एचओडी कैंसर डिपार्टमेंट सिम्स डॉ. चंद्रहास ध्रुव, सदस्य डॉ. हेमू टंडन, डॉ. जागेश्वर, डॉ. उपासना, डॉ.कुसुम, माइक्रोबायोलॉजी सेक्शन हेड डॉ. रेखा बारपात्रे शामिल हैं।
प्रिवेंटेबल है बीमारी…
डॉक्टरों के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर के कई कारण हो सकते हैं। जिसमें शारीरिक स्वच्छता पर ध्यान न देना, जल्दी विवाह, एक से अधिक सेक्स पार्टनर से रिलेशनशिप, नशाखोरी, प्राइवेट पार्ट में इन्फेक्शन, कमजोर इंम्युनिटी, फैमिली हिस्ट्री प्रमुख कारण हैं। यह बीमारी प्रिवेंटेबल है। यानी उक्त कारणों को ध्यान में रख सतर्कता बरतने से इससे बचा जा सकता है।- राज्य भर में सवा लाख से ज्यादा मरीज
- सिम्स में वर्तमान में करीब 400 कैंसर मरीजों का इलाज हो रहा
- इसमें 35 प्रतिशत मुंह व गला के कैंसर रोगी
- 20 प्रतिशत ब्रेस्ट के
- 15 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर के मरीज
- बाकी ब्लड समेत अन्य कैंसर पीडि़त
इसी को आधार मान मरीजों का इलाज किया जा रहा है। जबकि हकीकत ये है कि क्षेत्रानुसार इसके अलग स्ट्रेन होते हैं। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के मरीजों में मुख्य रूप से कौन सा कॉमन स्ट्रेन है, इसे लेकर शोध शुरू किया गया है।
डॉ. चंद्रहास ध्रुव, एचओडी कैंसर डिपार्टमेंट सिम्स
डॉ. चंद्रहास ध्रुव, एचओडी कैंसर डिपार्टमेंट सिम्स