गौमाता को ‘राष्ट्रमाता’ घोषित करने की मांग
शंकराचार्य ने कहा कि गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित किया जाना चाहिए, क्योंकि उनका महत्व भारतीय संस्कृति में अत्यधिक है। उन्होंने बताया कि 22 सितंबर 2024 को अयोध्या धाम से रामकोट की परिक्रमा कर उन्होंने गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करने के अभियान की शुरुआत की थी। इस यात्रा का उद्देश्य भारत से पूरी तरह से गोहत्या के कलंक को मिटाना है। यात्रा के दौरान शंकराचार्य ने बताया कि इस अभियान को बड़ी सफलता तब मिली जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उनके निर्देश पर देसी गाय को ’राज्यमाता’ घोषित किया और इस संबंध में प्रस्ताव शंकराचार्य जी को सौंपा। यह भी पढ़ें
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Shankaracharya: गाय का भारतीय संस्कृति में महत्व
शंकराचार्य ने अपने संबोधन में गौवंश के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि गाय सिर्फ दूध या मांस के लिए नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में उसका आध्यात्मिक महत्व है। यज्ञ और धार्मिक कार्यों में गाय का स्थान विशेष होता है, और इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। उन्होंने भगवद्गीता का हवाला देते हुए कहा कि भगवान ने भी कहा है कि यज्ञ और हम परस्पर एक-दूसरे के लिए बने हैं। यज्ञ में गाय और ब्राह्मण का महत्व सबसे अधिक होता है। शंकराचार्य ने महाराज दिलीप की कथा सुनाते हुए कहा कि गुरु वशिष्ठ के निर्देशानुसार महाराज दिलीप ने गौसेवा की, जिससे उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। उन्होंने कहा कि भगवान राम भी इसी वंश में अवतरित हुए थे, इसलिए गौसेवा परम आवश्यक है। उन्होंने भगवद्गीता का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘गवां मध्ये वसायह’’ अर्थात भगवान स्वयं कहते हैं कि वे हमेशा गायों के बीच निवास करते हैं।