पांच कलाकार कठपुतली संचालित कर रहे थे व चार आर्टिस्ट गायन और वाद्य में थे। दर्शकों को सामने से सिर्फ दृश्य नजर आ रहा था। (cg news today) सभी कलाकार पीछे थे लेकिन उन्होंने भगवा वस्त्र धारण किया हुआ था। लगभग 20 मिनट के प्ले में मारीच वध, ताड़का वध, स्वर्ण मृग, सीता हरण और जटायू वध दिखाया गया। (raipur news hindi) प्रस्तुति देने वालों में प्रियव्रत प्रधान, सत्यप्रकाश साहू और साथी।
शास्त्रीय धुन में बापू का भजन वैष्णव जन इस कार्यक्रम में अलग-अलग शहरों से आए कलाकारों ने पहली बार मंच साझा किया। लगभग 20 मिनट की प्रस्तुति में भोपाल के अंशुल प्रताप सिंह ने तबला, (chhattisgarh news) बैंगलुरू के शडज गोडखिंडी ने बांसुरी,प्रयागराज के विमर्श मालवीय ने पखावज, बनारस के दिव्यांश श्रीवास्तव ने संतूर, दिल्ली के वरूण राजशेखरन ने घटम और दिल्ली के ही शुभम सरकार ने वायलिन बजाया। पहली प्रस्तुति लय और बंदिशों के अलग-अलग रंग की थी। (cg news today) यह एक तरह से फ्यूजन था जो राग भीमपलासी पर आधारित था। समापन बापू के प्रिय भजन वैष्णवजन तो तेने कहिए को धुन में पिरोया गया। कलाकारों ने बताया, यह संगीत रटा नहीं जा सकता। हम लोग पहली बार एक-दूसरे से मिले। यह सामूहिक प्रस्तुति थी।
यह कार्यक्रम भी हुए – महाराष्ट्र के कलाकारों ने कथक की प्रस्तुति दी। – कमलादेवी संगीत महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने सामूहिक रूप से कथक की प्रस्तुति दी। – नाटक कमाऊंनी, मूकाभिनय निरंजन गोस्वामी लिखित घरौंदा (बिहार)