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प्रदेश में कोरोना की पहली लहर मार्च 2020 में आई थी और इसका पीक सितंबर में रहा। तब रोजाना 15 से 20 मरीजों की मौत भी होने लगी। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि दिसंबर 2020 में ऐसी 7 डेडबॉडी थी, जिसे लेने कोई नहीं आया। अभी केवल तीन डेड बॉडी पड़ी है, जिस पर बवाल मचा हुआ है। कोरोनाकाल में अज्ञात तो छोड़िए, जिनके भरे-पूरे परिवार थे, वे भी डेडबॉडी लेने नहीं पहुंच रहे थे। ऐसे में प्रशासन ने ऐसी बॉडी को प्रोटोकॉल के अनुसार अंतिम संस्कार किया। जो तीन डेड बॉडी अभी पड़ी मिली है, वे भी पूरी तरह सड़ गई है। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार अगस्त 2021 में फोरेंसिक विभाग की एचओडी डॉ. स्निग्धा जैन ने तत्कालीन अस्पताल अधीक्षक डॉ. विनीत जैन को मर्च्युरी में बॉडी रखी होने की सूचना दी थी। इसके बाद अगस्त 22, अक्टूबर 23 में प्रशासन को बॉडी होने की जानकारी दी गई। जनवरी में पुलिस के अधिकारियों को मौखिक जानकारी दी गई कि बॉडी पड़ी हुई है, जो कोरोनाकाल की है।
रिनोवेशन कार्य से खुली पोल मर्च्युरी का रिनोवेशन सीजीएमएससी कर रहा है। सीजीएमएससी के अधिकारी व ठेकेदार के कर्मचारी जब मर्च्युरी पहुंचे, तब कमरे के किनारे पॉलीथिन में पैक ये बॉडी देखे। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन को सूचना दी गई। अस्पताल प्रबंधन को चूंकि इन बॉडी की पहले से जानकारी थी इसलिए उन्हें कोई आश्चर्य नहीं हुआ। इसमें पुलिस प्रशासन की लापरवाही साफ सामने आ रही है, क्योंकि अस्पताल प्रबंधन की सूचना के बाद भी बॉडी का अंतिम संस्कार नहीं किया गया। न ही इनके परिजनों को कोई सूचना दी गई। हालांकि इन सभी बॉडी से संबंधित दस्तावेज गायब है, लेकिन पॉलीथिन पैक में इनके नाम लिखे गए हैं।
आंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एसबीएस नेताम ने कहा अस्पताल में 7 के बजाय 3 बॉडी होने की सूचना है। 3 बॉडी अज्ञात नहीं बल्कि रायपुर, बलौदाबाजार व मप्र के हैं। पुलिस प्रशासन को कई बार सूचना दी गई, लेकिन बॉडी के अंतिम संस्कार के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया। बुधवार को तहसीलदार आए थे, तब पॉलीथिन में मरीजों के नाम लिखे मिले। कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार अंतिम संस्कार करना है या परिजनों को सूचना देकर बुलाना है, पुलिस के अधिकारी बता पाएंगे।