रायपुर

राजा मोरजध्वज ने की थी महादेव के इस प्राचीन मंदिर की स्थापना, जुड़ी हैं कई रोचक कहानियां

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 30 किमी आरंग में देवों के देव महादेव का एक ऐसा प्राचीन मंदिर है, जहां प्रभु राम इस प्राचीन शिव मंदिर में ठहरे थे।

रायपुरJul 31, 2018 / 08:14 am

Ashish Gupta

राजा मोरजध्वज ने की थी महादेव के इस प्राचीन मंदिर की स्थापना, जुड़ी हैं कई रोचक कहानियां

रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 30 किमी आरंग में देवों के देव महादेव का एक ऐसा प्राचीन मंदिर है, जहां त्रेता युग में वनवास के दौरान प्रभु राम, माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण महानदी के किनारे चलते हुए आरंग पहुंचे थे। इस दौरान प्रभु राम महादेव के इस प्राचीन शिव मंदिर में ठहरे थे। इस मंदिर की एक और विशेषता है, यहां भक्त दूर – दूर से मोरध्वज की कथा सुनने के लिए आते हैं।
 

बागेश्वरनाथ शिव मंदिर की ये है विशेषता
इस शिव मंदिर की स्थापना 11वी सदी में राजा मोरजध्वज ने कराई थी। इस मंदिर में 108 खंभे हैं। गर्भगृह में चौबीस खंभे और मंदिर परिसर में चौरासी खंभे हैं। मंदिर का निर्माण नागर शैली वास्तु कला में किया गया है। मंदिर में भगवान शिव पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं। साथ ही शिव के प्रमुख गण नंदी व कीर्तिमुख भी हैं। मंदिर के मुख्यद्वार पर सिंह की एक बड़ी मूर्ति है।

 

sawan 2018

यहां अर्जुन और कृष्ण ने ली राजा मोरध्वज की परीक्षा
इस मंदिर के बारे में डॉ. तेजराम जलक्षत्री और मयंक गोस्वामी बताते हैं कि पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत का युद्ध खत्म होने के बाद भगवान कृष्ण अर्जुन के साथ अपने भक्त मोरध्वज की परीक्षा लेने के लिए आरंग पहुंचे थे। उन्होंने अर्जुन से शर्त लगाई थी कि उनका उससे भी बड़ा कोई भक्त है। कृष्ण और अर्जुन ऋषि का वेश बनाकर राजा मोरध्वज के पास पहुंचे और कहा, हम बड़ी दूर से आए हैं और भूखे हैं, हमारे साथ एक सिंह भी भूखा है। और वह मनुष्य का ही मांस खाता है।

 

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इस पर राजा अपना मांस देने को तैयार हो गए, इस पर कृष्ण ने कहा केवल सिंह बच्चों का मांस खाता है। राजा ने तुरंत अपने बेटे का मांस देने की पेशकश की। कृष्ण ने कहा, आप दोनों पति-पत्नी अपने पुत्र का सिर काटकर मांस खिलाओ, मगर इस बीच आपकी आंखों में आंसू नहीं दिखना चाहिए। राजा और रानी ने अपने बेटे का सिर काटकर शेर के आगे डाल दिया। तब कृष्ण ने राजा मोरध्वज को आशीर्वाद दिया, जिससे उनका बेटा फिर से जिंदा हो गया।
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अभिषेक व शृंगार
मंदिर के पुजारी मयंक दास गोस्वामी का कहना है कि शिव जी का प्रत्येक दिन सुबह जलाभिषेक कर शृंगार किया जाता। सावन में सोमवार को दुग्धाभिषेक करते है। यहा महाशिवरात्रि को मेला लगता है, यहां दूर -दूर से लोग सिर्फ मोरध्वज की कथा के कारण आते हैं।

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