बागेश्वरनाथ शिव मंदिर की ये है विशेषता
इस शिव मंदिर की स्थापना 11वी सदी में राजा मोरजध्वज ने कराई थी। इस मंदिर में 108 खंभे हैं। गर्भगृह में चौबीस खंभे और मंदिर परिसर में चौरासी खंभे हैं। मंदिर का निर्माण नागर शैली वास्तु कला में किया गया है। मंदिर में भगवान शिव पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं। साथ ही शिव के प्रमुख गण नंदी व कीर्तिमुख भी हैं। मंदिर के मुख्यद्वार पर सिंह की एक बड़ी मूर्ति है।
यहां अर्जुन और कृष्ण ने ली राजा मोरध्वज की परीक्षा
इस मंदिर के बारे में डॉ. तेजराम जलक्षत्री और मयंक गोस्वामी बताते हैं कि पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत का युद्ध खत्म होने के बाद भगवान कृष्ण अर्जुन के साथ अपने भक्त मोरध्वज की परीक्षा लेने के लिए आरंग पहुंचे थे। उन्होंने अर्जुन से शर्त लगाई थी कि उनका उससे भी बड़ा कोई भक्त है। कृष्ण और अर्जुन ऋषि का वेश बनाकर राजा मोरध्वज के पास पहुंचे और कहा, हम बड़ी दूर से आए हैं और भूखे हैं, हमारे साथ एक सिंह भी भूखा है। और वह मनुष्य का ही मांस खाता है।
अभिषेक व शृंगार
मंदिर के पुजारी मयंक दास गोस्वामी का कहना है कि शिव जी का प्रत्येक दिन सुबह जलाभिषेक कर शृंगार किया जाता। सावन में सोमवार को दुग्धाभिषेक करते है। यहा महाशिवरात्रि को मेला लगता है, यहां दूर -दूर से लोग सिर्फ मोरध्वज की कथा के कारण आते हैं।