रायपुर

संत सम्मलेन : त्रिवेणी के तट पर जुटे संत, बोले- अध्यात्म के मार्ग से ही मिलेगा विश्व शांति का मार्ग

राजिम के त्रिवेणी संगम स्थल पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्थान के तत्वावधान में संत सम्मेलन आयोजित किया गया।

रायपुरSep 24, 2023 / 01:14 pm

Kanakdurga jha

त्रिवेणी के तट पर जुटे संत

रायपुर. राजिम के त्रिवेणी संगम स्थल पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्थान के तत्वावधान में संत सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें देशभर से साधु-संत और महामंडलेश्वर शामिल हुए। इस दौरान सभी संतों ने एक स्वर में भारत को स्वर्णिम बनाने और विश्व में शांति स्थापना का संकल्प लिया। साथ ही यह संदेश दिया कि अध्यात्म के मार्ग से ही विश्व शांति का मार्ग मिलता है। बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लिया।
राजिम केंद्र में ग्लोबल पीस हॉल का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम की शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें राजिम के निवासी शामिल हुए तथा दर्शन, पूजा-अर्चना की। इंदौर से आए ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने समागम के उद्देश्य में कहा कि यह कार्यक्रम प्रेरणादायी है। पहली बार ब्रहमाकुमारीज का अपने स्तर भव्य कार्यक्रम पुष्पा बहन की मेहनत से हुआ। रामनाथ भाई की प्रेरणा से यह संत सम्मेलन वृहद रूप में हुआ है।
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योग आयोग के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा ने कहा कि सभी केंद्रों में ऐसा संत सम्मेलन होना चाहिए। सम्मेलन को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज राजयोग से जीवन में सुख, समृद्धि और सदाचार लाती हैं। वे पिछले 40 वर्षों से इस संस्थान से जुड़े हुए हैं। सम्मेलन में अयोध्या से आचार्य श्रीवत्स महाराज, रामबालक दास, संत युद्धिष्ठिर लाल, राजयोगिनी बीके आरती दीदी, रुद्रानंद प्रचंड वेगनाथ सहित संस्थान की बहनें बड़ी संख्या में मौजूद थीं।
तेजी से चल रहा परिवर्तन चक्र

उन्होंने कहा कि परिवर्तन चक्र बहुत तेजी से चल रहा है। आज व्यक्ति के पास भौतिक तो हैं, लेकिन वह अंदर ही अंदर खोखला होता जा रहा है। समाज के अंदर जो समरसता, सौहार्द चाहिए, सात्विकता चाहिए उसके स्थान पर दुष्टता, अराजकता, स्वार्थपरायणा दिखाई दे रही है। इस चिंतन की जरूरत है।
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केवल पांच सेकंड करें राजयोग रामनाथ भाई

माउंट आबू से आए ब्रहमाकुमार रामनाथ भाई ने कहा कि संतों के त्याग, तपस्या और पवित्रता के कारण ही आज भारत को विश्व गुरु मानते हैं। उनका मानना है यदि जीवन में उन्नति चाहते हैं तो केवल पांच सेकंड राजयोग का अभ्यास जरूर करें।
एक जोत है सब दीपों में

गोवर्धनशरण महाराज सिरगिट्टी आश्रम पांडुका ने संत समागम कहा कि एक जोत है सब दीपों में, सब धर्मों का सार एक है। नाम भले ही अलग-अलग हो, पर भक्तों का भगवान एक है। इसी संदेश को ब्रहमाकुमारी भाई-बहनें, सभी संत समाज पहुंचा रहे हैं।
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सनातन धर्म में केवल संकल्प है, विकल्प नहीं
दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास ने संत समागम में कहा कि भारतीय संस्कृति को सनातन धर्म कहा जाता है। इस सनातन से कोई अलग नहीं है। ये संकल्प है और उस संकल्प में कोई विकल्प नहीं है। लेकिन जब इसमें विकल्प ढूंढा जाता है तो दुख दर्द वहीं से प्रारंभ होता है।
राजयोग पर चलना होगा: शिवस्वरूपानंद

जोधपुर से पहुंचे महामंडलेश्वर डॉ शिवस्वरूपानंद ने कहा कि गीता विश्व का सर्वोत्तम ग्रंथ है। दूसरा कोई ग्रंथ नहीं है। इसलिए हमको इन चीजों पर सचेत रहना पड़ेगा। बिना ब्रह्मचर्य के कहीं भी आपकी गति नहीं है। गीता भी यही कहती है। इसलिए सही जीवन जीना है तो राजयोग पर चलना होगा।

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