इसके लिए देशभर में राष्ट्रोत्कर्ष अभियान चलाते उन्हें 2 साल से भी अधिक समय हो चुका है। इसी कड़ी में रविवार को वे रायपुर पहुंचे थे। (Raipur News Update) इधर, बोरियाकला स्थित शंकराचार्य आश्रम में 64 योगिनियों की प्रतिष्ठा कराने उत्तराखंड स्थित जोशी मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरारनंद भी रायपुर पहुंचे थे। (Raipur News Today) मीडिया से बातचीत में हिंदू राष्ट्र के मुद्दे को लेकर दोनों शंकराचार्यों के विचार एक-दूसरे से भिन्न नजर आए।
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ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने हिंदू राष्ट्र का एजेंडा ठीक
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हिंदू राष्ट्र से किसी का कल्याण नहीं होगा। ये एजेंडा ध्रुवीकरण की राजनीति को बढ़ावा देने के लिए ठीक हो सकता है। समाज की भलाई के लिए हमें रामराज्य की जरूरत है। आज देश में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र से लोगों का मोहभंग होता नजर आ रहा है। हिंदू राष्ट्र का मतलब है हिंदुओं की गोलबंदी। यानी गैर हिंदुओं के साथ गैर समानता का व्यवहार करना। रामराज्य में कोई पराया नहीं होता। प्रभु श्रीराम के राज में तो राजा के लिए सारी प्रजा ही खुद के बच्चे समान होती है।
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हिंदू राष्ट्र से समाज बनेगा सुसंस्कृत, कर्तव्य परायण शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, भारत के हिंदू राष्ट्र बनने से सुसभ्य, सुसंस्कृत और कर्तव्य परायण समाज की स्थापना होगी। (Raipur News in Hindi) उन्होंने कहा, हिंदू धर्म में सभी जाति की आजीविका जन्म से सुनिश्चित होती है। आज देश में जातियां बटी हुई हैं। ये अंग्रेजों की नीति है। फूट डालो और राज करो। हमारे राजनेता तुष्टिकरण की राजनीति में लगे हैं। यही देश के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है। पूरी दुनिया में हिंदू के अलावा कोई धर्म नहीं था। सभी के पूर्वज हिंदू हैं। भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए पहले हिंदू राष्ट्र बनाना होगा। यह भी पढ़ें