उन्होंने कहा कि मूर्ति बनाने से अच्छा एक अच्छे मूर्तिकार को तैयार करना है। एक अच्छा मूर्तिकार कई अच्छी मूर्तियों को तैयार करेगा। दुनिया में यदि कोई सर्वश्रेष्ठ काम है तो स्वयं और दुनिया की दिशा बदलने का का काम है। जो काम केवल एक गुरु ही कर सकता है। हमें किसी को गुरु मानना नहीं बल्कि गुरु बनाना है। भारतीय संस्कृति का नाम एक मामले में आता है। यहां गुरु का प्रोडक्शन होता है। गुरु वह होता है जो भटके इंसान को परमात्मा के साथ जोड़ देता है।
गुरु दुनिया को परमात्मा के साथ जोड़ देता है। जो स्वयं के साथ जोड़ता है, वह गुरु नहीं हैं।इस दुनिया में सबसे मुश्किल काम प्रभु को देख पाना, उनके दर्शन करना है। भगवतता के दर्शन, उनकी श्रेष्ठता के दर्शन करना, बढ़िया को देखना। भारतीय संस्कृति गुरु उसे कहती है जो श्रेष्ठता के दर्शन करा दे। ऋषि ने कहा कि मेरे संत बनने का यदि किसी को श्रेय जाता है तो वह मेरे गुरु हैं, जिन्हें महाराष्ट्र में आनंद बाबा कहते है और मेरे पिता को।
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माता-पिता के दिए हुए संस्कार ही बच्चों में आते है। यह निर्भर करता है कि बच्चों की परवरिश कैसी की गई है। बच्चों की बुद्धि पैनी होती है। उनमें आप जो बीज बोएंगे, वैसा ही फल आपको मिलेगा। भविष्य को देखते हुए आप अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें। ये बातें एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी में सोमवार को साध्वी शुभंकरा ने कही। उन्होंने कहा कि प्रेम, स्नेह और वात्सल्य के चक्कर में आज युवा घर से बाहर निकल रहे हैं। दोस्तों और उनके परिजनों के बीच वह इस प्रेम को ढूंढते हैं, जबकि यह वही प्रेम है, जो उन्हें बचपन से ही खुद के घर में मिलना चाहिए था। आज लोग नौकरी के चलते छोटे बच्चों को आया के सुपुर्द करके चल देते हैं। वह आया टाइम पर उन्हें खाना पीना तो दे देती है, पर उस खाने-पीने में वह प्रेम नहीं होता जो मां के द्वारा बच्चों को मिलता है। जब बचपन में बच्चों को संस्कार नहीं मिलता तो पचपन में वह आपको क्या समझेंगे। आप बच्चों को पढ़ाई के लिए जिस देश के बड़े शहरों में भेजते हो, ताकि उसका भविष्य अच्छा हो जाए। अगर आपका बच्चा आर्य संस्कृति और अपने संस्कारों को याद रखता है।
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तो कोई भी गलत दोस्त आपके बच्चे के सर्कल में नहीं भूल पाएगा। एक बात हमेशा याद रखना बच्चों गुरुजनों की दोस्ती छोड़ेंगे तभी आप जीवन में सकारात्मक ढंग से आगे बढ़ पाएंगे। रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि गुरुदेव नित्य सुबह 9 से 10 बजे तक प्रवचन के जरिए लोगों को सही राह दिखा रहे हैं। इसके अलावा अर्हम विज्जा शिविर के अंतर्गत लोगों को श्रेष्ठ जीवन जीने का तरीका भी बता रहे हैं। किसी भी धर्म-समाज का व्यक्ति गुरुदेव का मार्गदर्शन लेने के लिए श्री लालगंगा पटवा भवन आ सकता है। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष सुशील कोचर और महासचिव नवीन भंसाली ने बताया, चातुर्मासिक प्रवचन ललित विस्त्रा ग्रंथ पर आधारित है। साध्वी शुभंकरा आदि ठाणा 4 के मुखारविंद से सकल श्रीसंघ को पूरे 5 माह वर्षावास में जिनवाणी श्रवण का लाभ मनोहरमय चातुर्मास दादाबाड़ी में मिलेगा।