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रायपुर

सावन का आगाज : छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक शिवालयों में कोरोना का असर, दूर से ही दर्शन देंगे बाबा भोलेनाथ

इस बार सावन के सोमवार पर लोग घरों पर ही भगवान भोलेनाथ की आराधना करेंगे। मंदिरों पर मेले नहीं लगेंगे और न ही कोई धार्मिक आयोजन होंगे। दूर से ही भगवान की दर्शन किए जा सकेंगे।

रायपुरJul 05, 2020 / 09:45 pm

bhemendra yadav

सावन का आगाज : छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक शिवालयों में कोरोना का असर, दूर से ही दर्शन देंगे बाबा भोलेनाथ

सावन का आगाज : छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक शिवालयों में कोरोना का असर, दूर से ही दर्शन देंगे बाबा भोलेनाथ

रायपुर. सोमवार 6 जुलाई से सावन माह का आगाज हो रहा है। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए छत्तीसगढ़ के प्रमुख शिवालयों में किसी भी प्रकार के न सामूहिक कार्यक्रम और न ही मंदिरों में भीड़ जुटेगी। इस लिए इस बार सावन के सोमवार पर लोग घरों पर ही भगवान भोलेनाथ की आराधना करेंगे। मंदिरों पर मेले नहीं लगेंगे और न ही कोई धार्मिक आयोजन होंगे। दूर से ही भगवान की दर्शन किए जा सकेंगे।
इस वर्षमंदिरों पर रौनक नहीं है। छत्तीसगढ़ के प्रमुख शिव मंदिरों पर आमतौर पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगती थी। इस बार ऐसा कुछ नहीं है। मंदिरों में पुजारी तो पूजा पाठ करेंगे लेकिन मेले नहीं लगेंगे और न ही श्रद्धालुओं को मूर्ति के स्पर्श की अनुमति होगी। सिर्फ दूर से ही दर्शन हो सकेंगे। इसके चलते लोग घरों में ही भगवान भोलेनाथ की आराधना करेंगे और पूजन अर्चन करेंगे। मेले जैसे दृश्य नहीं दिखाई देंगे। अनलॉक-1 में मंदिरों को खोलने की अनुमति तो दी गई थी लेकिन अब ज्यादा भीड़ के चलते सावन के सोमवार को मेले की अनुमति नहीं दी गई है।

राजिम : पूजन पर रोक, भक्त गर्भगृह के बाहर से ही कर सकेंगे पूजन विधान
छत्तीसगढ़ के प्रयाग कहे जाने वाले त्रिवेणी संगम पर स्थित प्रसिद्ध कुलेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक और गर्भगृह में होने वाले पूजन अनुष्ठान पर रोक लगा दी गई है। कोरोना संक्रमण के प्रभाव के चलते गर्भगृह के बाहर से ही भक्त पूजन विधान कर सकेंगे। भगवान भोलेनाथ की देह पर सावन में इस वर्ष निरंतर जलाभिषेक की धार भक्त प्रवाहित नहीं कर पाएंगे। कुलेश्वर महादेव में पूरे सावन मास में जुटने वाली कांवरियों की भीड़ और जलाभिषेक के लिए लगने वाली कतार भी नहीं लग पाएगी। सावन सोमवार को सामूहिक भंडारा या भोग प्रसादी का वितरण भी नहीं होगा।

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हटकेश्वर महादेव : प्रशासन ने नहीं दी जलाभिषेक की अनुमति
राजधानी के प्रसिद्ध महादेवघाट स्थित हटकेश्वर महादेव के पुजारी पं. सुरेश गिरी गोस्वामी ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते प्रशासन ने अभी तक जलाभिषेक करने की अनुमति नहीं दी है। मास्क पहने भक्तों को मुख्य द्वार पर बुखार मापकर, सैनिटाइज करने के बाद मंदिर में प्रवेश मिलेगा। गर्भगृह के भीतर किसी को भी जाने की इजाजत नहीं होगी। गर्भगृह में 10 फीट दूर से ही शिवलिंग का दर्शन किया जा सकेगा। हर साल नदी से लेकर मंदिर तक मानव श्रृंखला बनाकर जलाभिषेक किया जाता है। इस बार भक्त जलाभिषेक नहीं कर सकेंगे। कांवर यात्रा भी नहीं निकलेगी।

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लक्ष्मणेश्वर महादेव : प्रशासन ने जारी नहीं की गाइडलाइन, जलाभिषेक पर सस्पेंस
छत्तीसगढ़ का काशी कहे जाने वाले शिवरीनारायण स्थित खरौद के लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर में इस बार श्रद्धालुओं का जत्था जल चढ़ाने पहुंचेगा या नहीं इस बात पर संशय बना हुआ है। मंदिर के पुजारी पं. सुधीर मिश्रा ने बताया कि अन्य वर्षों में सावन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिवरीनारायण के महानदी से जल लेकर भगवान लक्ष्मणेश्वर के दर्शन कर जल चढ़ाने पहुंचते हैं पर कोरोना काल के चलते श्रद्धालु पहुचेंगे कि नहीं इस बात को लेकर संशय बना हुआ है। पुजारी ने बताया प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं। अभी तक प्रशासन की ओर से कोई गाइडलाइन जारी नही की गई है।

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भूतेश्वर महादेव में भी नहीं जुटेगी भीड़
गरियाबंद जिले में मौजूद भूतेश्वर महादेव एक अर्धनारीश्वर प्राकृतिक विशाल शिवलिंग का भी दर्शन दूर से ही किया जा सकेगा। यहां भी भीड़ जुटने नहीं दी जाएगी।

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छत्तीसगढ़ का खजुराहो भोरमदेव में इस साल नहीं होगी पदयात्रा
छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहे जाने वाले भोरमदेव में इस वर्ष पदयात्रा स्थगित रहेगी। अपर कलेक्टर जेके धु्रव ने बताया कि प्रतिवर्ष सावन माह के प्रथम सोमवार को होने वाले भोरमदेव पदयात्रा को कोरोना वायरस के रोकथाम एवं बचाव के उपायों को विशेष रूप से ध्यान रखते हुए स्थगित किया गया है। हर साल कवर्धा के बूढ़ा महादेव मंदिर से भोरमेदव मंदिर तक पदयात्रा निकाली जाती है और इसमें कलेक्टर, सीईओ, अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, महिला भक्तों से लेकर युवाओं और पुलिस जवान तक शामिल होते हैं।

गंधेश्वरनाथ महादेव : सिरपुर में श्रावणी मेला स्थगित
ऐतिहासिक नगरी सिरपुर में गंधेश्वरनाथ महादेव का प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग में श्रावणी मेला स्थगित कर दिया गया है। मंदिर में पुरोहित और दस यजमान ही रहेंगे। कांवडिय़ों के लिए किसी भी प्रकार से भोजन, पंडाल की व्यवस्था नहीं की गई है। कांवर लेकर नहीं आने का निर्देश दिया गया है।

इन मंदिरों में भी दूर से ही दर्शन देंगे बाबा भोलेनाथ

मठपारा स्थित नीलकंठेश्वर मंदिर, बूढ़ातालाब के समीप स्थित बूढ़ेश्वर मंदिर, चंदखुरी स्थित शिव मंदिर,
बलोदाबाजार स्थित पलारी ग्राम में सिद्धेश्वर मंदिर, कवर्धा के घटियारी स्थित शिव मंदिर, सरगांव का धूमनाथ मंदिर, बालोद का कपिलेश्वर मंदिर में भी दूर से ही दर्शन देंगे बाबा भोलेनाथ।

इस बार सावन में शुभ संयोगों की झड़ी
सावन में इस बार सोमवार का अनोखा संयोग बन रहा है। इस साल सावन माह की शुरुआत शिवजी के खास दिन माने जाने वाले सोमवार से हो रही है। सावन का समापन भी सोमवार को होगा, जिसे शुभ संयोग माना जाता है। इसके अलावा सालों बाद हरियाली अमावस्या भी सोमवार को पड़ रही है। चंद्र मकर राशि में और गुरु अपनी ही धनु राशि में होने से यह महीना और विशेष हो जाएगा। शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि का क्षय होने से माह 29 दिन का है, जिसमें 5 सोमवार के अलावा कई विशेष पर्व व त्योहार आएंगे। ज्योतिषीय दृष्टि से इस बार सावन का महीना विशिष्ट माना जा रहा है, क्योंकि इस अवधि में काफी अंतराल के बाद 11 सर्वार्थ सिद्धि, 10 सिद्धि, 12 अमृत और 3 अमृत सिद्धि जैसे विशेष संयोग बन रहे हैं।

पंचाग के अनुसार सावन के महीने की प्रमुख तिथियां
जुलाई 6- सावन का पहला सोमवार
जुलाई 13- सावन का दूसरा सोमवार
जुलाई 20- सावन का तीसरा सोमवार
जुलाई 27- सावन का चौथा सोमवार
अगस्त 3- सावन का पांचवा सोमवार और आखिरी सोमवार

बता दें, 3 अगस्त को रक्षाबंधन भी है।

हिंदू परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार हिंदू केलैंडर का पांचवा महीना यानी कि श्रावण का महीना भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है।

सावन के सोमवार का महत्व
मान्यता है कि सावन के महीने में शिवलिंग की विशेष पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. कहा जाता है कि जो महिलाएं सावन के सोमवार का व्रत रखती हैं उनके पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। साथ ही अविवाहित लड़कियों को मनपसंद जीवनसाथी मिलता है।

सावन में इस तरह करें भोलेनाथ को प्रसन्न
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है। सबसे पहले जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगा जल और गन्ने के रस से महादेव का अभिषेक किया जाता है। इसके बद बेलपत्र, नीलकमल, कनेर, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, राई और फूल चढ़ाए जाते हैं। फिर धतूरा, भांग और श्रीफल चढ़ाने का विधान है। शिवलिंग के अभिषेक के बाद विधिवत् भगवान भोलेनाथ की आरती उतारी जाती है।

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