रायपुर

Chhath Puja 2024: एफएम तड़का के RJ नरेंद्र पहुंचे महादेव घाट, छठ पूजा को लेकर की बातचीत

Chhath Puja 2024: एफएम तड़का के आरजे नरेंद्र रायपुर के महादेव घाट पहुंचे। इस दौरान उन्होंने छठ पूजा को लेकर छठ व्रती महिलाओँ से बातें की।

रायपुरNov 08, 2024 / 09:57 am

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Chhath Puja 2024: छत्तीसगढ़ में छठ महापर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज महापर्व के चौथे और समापन के दिन व्रतियां सूर्योदय होने से पहले ही घाट और तालाबों में एकत्र हो गई हैं। इस बीच एफएम तड़का के आरजे नरेंद्र रायपुर के महादेव घाट पहुंचे। इस दौरान उन्होंने छठ पूजा को लेकर छठ व्रती महिलाओँ से बातें की।
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उन्होंने ने बताया कि सभी उगते सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार की खुशहाली और समृद्धि की कामना कर रही हैं। इसके बाद छठी मैया की पूजा और प्रसाद वितरण के साथ ही छठ महापर्व का समापन हो जाएगा। सूर्य देवता और छठी मैया के पूजन के लिए श्रद्धालुओं ने गन्ने और फल चढ़ाए और उत्तर भारत में प्रचलित खास व्यंजन ठेकुआ भी अर्पित किया। आयोजन में शामिल होने बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक घाट में नजर आए। पूजन में शामिल होने और प्रसाद पाने सुबह से घाटों पर भक्तों का तांता लगा हुआ है।
Chhath Puja 2024
पहले दिन खरना, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन सूर्य संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उगले सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। पहले दिन व्रती नदी में स्नान करके भात, कद्दू की सब्जी और सरसों का साग खाते हैं। दूसरे दिन खरना होता है, जहां शाम को गुड़ की खीर बनाकर छठ मैय्या को भोग लगाया जाता है और पूरा परिवार प्रसाद ग्रहण करता है। तीसरे दिन छठ का पर्व मनाया जाता है जिसमें अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। छठ के चौथे यानी अंतिम दिन सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व का समापन होता है।
Chhath Puja 2024
Chhath Puja 2024

संतान की कामना और लंबी उम्र के लिए व्रत

छठ पूजा खास तौर पर संतान की कामना और लंबी उम्र के लिए की जाती है। छठी मैया सूर्यदेव की बहन हैं और इस पर्व पर इन दोनों की ही पूजा अर्चना की जाती है। चार दिन तक चलने वाले इस पर्व में सात्विक भोजन किया जाता है। पहले दिन खरना, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन सूर्य संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उगले सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
Chhath Puja 2024
Chhath Puja 2024

द्रौपदी ने रखा था छठ व्रत

छठ पर्व के बारे में एक कथा है। कथा के अनुसार, महाभारत काल में द्रौपदी परिवार की सुख-शांति और रक्षा के लिए छठ का पर्व बनाया था। जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। उनकी मनोकामनाएं पूरी हुईं और पांडवों को राजपाट वापस मिल गया। लोक परंपरा के अनुसार, सूर्य देव और छठी मईया का संबंध भाई-बहन का है। इसलिए छठ के मौके पर सूर्य की आराधना फलदायी मानी गई है।

माता सीता ने भी रखा था छठ व्रत

पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि मुद्गल ने माता सीता को छठ व्रत करने को कहा था। आनंद रामायण के अनुसार, जब भगवान राम ने रावण का वध किया था तब रामजी पर ब्रह्म हत्या का पाप लगा था। इस हत्या से मुक्ति पाने के लिए कुलगुरू मुनि वशिष्ठ ने ऋषि मुद्गल के साथ राम और सीता को भेजा था। भगवान राम ने कष्टहरणी घाट पर यज्ञ करवा कर ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति दिलाई थी। वहीं माता सीता को आश्रम में ही रहकर कार्तिक मास की षष्ठी तिथि को व्रत करने का आदेश दिया था। मान्यता है कि आज भी मुंगेर मंदिर में माता सीता के पैर के निशान मौजूद हैं।

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