इधर,
आंबेडकर अस्पताल में भी दो मरीज भर्ती हो गए हैं, जिनका इलाज किया जा रहा है। एम्स में भर्ती मरीजों में 7 का सफल ऑपरेशन किया गया है, जबकि शेष रोगियों के ऑपरेशन की औपचारिकताएं पूर्ण की जा रही है। एम्स में 16 रोगी पुरुष हैं और 7 महिलाएं हैं। इनमें से 17 मरीज 30 से 60 वर्ष की आयुवर्ग के हैं जबकि एक 30 वर्ष से कम और 60 वर्ष से अधिक 5 हैं। दो मरीजों में फंगस अधिक घातक स्थिति में पहुंच गया है, जिनका ऑपरेशन मस्तिष्क तक किया जाएगा। इन रोगियों को ठीक होने में 15 से 40 दिन तक का समय लग सकता है।
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प्रदेश के सभी जिलों से दवा व इंजेक्शन की डिमांड
खाद्य एवं औषधि प्रशासन नियंत्रक से प्रदेश के सभी जिलों से ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए टेबलेट पोसाकोनाजोल एवं इंजेक्शन एम्फोटेरसिन-बी की मांग की गई है। रायपुर जिले के खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के निरीक्षक नीरज साहू के मुताबिक, बाजारों में जितनी दवा व इंजेक्शन थी उसे शासकीय व निजी अस्पतालों में पहुंचा दिया गया है।
होलसेलर, स्टॉकिस्ट, सीएंडएफ से ब्लैक फंगस की दवाओं व इंजेक्शन की वर्तमान में उपलब्ध मात्रा की जानकारी प्रतिदिन ली जा रही है। सभी अस्पताल संचालकों से दवा व इंजेक्शन की कितनी आवश्यकता है, इसकी जानकारी मांगी गई है। जरूरत की हिसाब से दूसरे राज्यों से मंगाया जाएगा। खाद्य एवं औषधि प्रशासन नियंत्रक केडी कुंजाम के मुताबिक, सभी जिलों से दवा व इंजेक्शन की मांग की गई है। सभी जिलों का डाटा कलेक्ट किया जा रहा है।
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रायपुर एम्स के निदेशक डॉ. नितिन एम नागरकर ने कहा, स्टेरॉयड का अनावश्यक प्रयोग न करें, एंटीबायोटिक के गैर जरूरी प्रयोग से बचें। डायबिटीज सहित अन्य बीमारियों को नियंत्रण में रखकर इससे बचा जा सकता है। ब्लैक फंगस के संक्रमण का प्रसार एक से दूसरे में नही होता है।