जिस पर मुख्यमंत्री ने पूरी स्थिति समझाते हुए ट्वीट का जवाब ट्वीट से ही दिया। उन्होंने लिखा, ‘अगर जनहित का सवाल होगा तो सरकार निजी कॉलेज भी खरीदेगी और नगरनार का संयंत्र भी।’
मुख्यमंत्री ने आगे यह भी लिखा कि यह एक मेडिकल कॉलेज और छात्रों के भविष्य को बचाने का प्रयास है। नया कॉलेज बनाने का समय बचेगा और हर साल प्रदेश को 150 डॉक्टर मिलेंगे। भाजपा नेताओं के रिश्तेदार का कॉलेज खरीदे जाने के आरोप का जवाब देते हुए लिखा ‘जहां तक रिश्तेदारी और निहित स्वार्थ का सवाल है तो मैं अपने प्रदेश की जनता को यह बताना चाहता हूं कि भूपेश बघेल उसके प्रति उत्तरदायी है और उसने हमेशा पारदर्शिता के साथ राजनीति की है। सौदा होगा तो सबकुछ साफ हो जोगा। हम सर्वाजनिक क्षेत्र के पक्षधर लोग हैं और रहेंगे। हम उनकी तरह जनता की संपत्ति नहीं बेच रहे।’ इस प्रकरण को लेकर कई भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने ट्वीट, रीट्वीट किए।
गौरतलब है मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कॉलेज भवन, जमीन, बैंक खाते, उपकरण समेत कई मामलों पर शासन की 9 कमेटियां मूल्यांकन कर रही हैं। जिनकी बीते दिनों बैठक भी हुई।
अधिग्रहण के पीछे की कहानी4 साल पहले एमसीआई से संबद्धता के पूर्व ही कॉलेज प्रबंधन ने मैनेजमेंट कोटा सीट पर 83 छात्रों को दाखिला दे दिया था। तब मैनेजमेंट कोटा के नाम से 40-45 लाख तक छात्रों से लिए गए थे। मगर, कॉलेज जीरो ईयर हो गया। मामला हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और अंत में दाखिले रद्द कर दिए। छात्रों की फीस लौटाते-लौटाते कॉलेज की आर्थिक स्थिति खराब होती चली गई। 2017 के बाद से कॉलेज को दाखिले की अनुमति नहीं मिली, जिसके बाद से कॉलेज घाटा में चला गया। कॉलेज में जीरो ईयर है। सूत्रों के मुताबिक तब कॉलेज प्रबंधन ने सरकार के सामने इसे अधिग्रहित करने की पेशकश की थी। सूत्रों के मुताबिक कॉलेज की बैंक से 143 करोड़ की लेनदारी है।
सरकार को क्या होगा फायदा
जानकारों के मुताबिक सरकार को एक कॉलेज को स्थापित करने में कम से कम 400 करोड़ का बजट बैठता है। अगर, वह रनिंग कॉलेज खरीदती है तो उसे 50 प्रतिशत यानी 175 से 200 करोड़ का खर्च आएगा। मैनपावर भी काफी हद तक मिल ही जाएंगे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री- भूपेश बघेल अपने दामाद का निजी मेडिकल कॉलेज बचाने के लिए उसे सरकारी कोष से खरीदने की कोशिश में हैं। वो भी एक ऐसा मेडिकल कॉलेज जिस पर धोखाधड़ी के आरोप एमसीआई द्वारा लगाए गए थे। कौन बिकाऊ है, कौन टिकाऊ है इसकी परिभाषा साफ है।