मान्यता यही है कि यह कभी दक्षिण कोसल की राजनगरी हुआ करती थी। यही जगह माता कौशल्य (Kaushalya Mata) का मायका होने से भगवान श्रीराम का ननिहाल माना जाता है। यहां माता कौशल्या (Kaushalya Mata Mandir) का प्राचीन मंदिर है। इस पूरे क्षेत्र को आकर्षक ढंग से विकासित करने का प्लान है।
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माता कौशल्या मंदिर को ऐसा रूप दिया जाना है, जिससे कि आने वालों भक्तों को यह अहसास हो सके कि भगवान राम का उनके ननिहाल में जैसा बचपन बीता था, उन भावों को मंदिर की दीवारों पर कलाकृतियों के माध्यम से देख सकें। वैसा ही उकेरा भी जाएगा। कौशल्या माता मंदिर परिसर में पहुंचने पर दक्षिण कौसल के वैभव का दृश्य नजर आएगा। भव्य प्रवेश द्वार होगा
चंदखुरी पहुंचने पर कौशल्या मंदिर परिसर में भव्यता लिए प्रवेश द्वार नजर आएगा। परिसर धार्मिक आस्था का केंद्र होगा। प्राचीन कलाओं को समेटे मंदिर में नई नहीं, बल्कि माता कौशल्य की पुरानी मूर्ति ही स्थापित करने का निर्णय गया है।
चंदखुरी पहुंचने पर कौशल्या मंदिर परिसर में भव्यता लिए प्रवेश द्वार नजर आएगा। परिसर धार्मिक आस्था का केंद्र होगा। प्राचीन कलाओं को समेटे मंदिर में नई नहीं, बल्कि माता कौशल्य की पुरानी मूर्ति ही स्थापित करने का निर्णय गया है।
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तालाब बीच बनेगा लक्ष्मण झूला जैसा पुलकौशल्य माता मंदिर तक पहुंचने के लिए तालाब के बीचोंबीच लक्ष्मण झूला जैसा ब्रिज बनेगा, क्योंकि मंदिर तालाब के बीच है। उस पूरे परिसर को आकर्षक स्वरूप दिया जाना है, जिसे देखकर ऐसा लगे मानो पुल तालाब में तैयार रहा है।
इन स्थानों पर भी होगा खर्च
सीतामढ़ी सरगुजा, तुरतुरिया बारनावापारा, लोमश ऋषि आश्रम राजिम, शृंगी ऋषि आश्रम सिहावा। इन जगहों से होकर वनवास के समय भगवान राम निकले थे। ऐसी मान्यताएं हैं। जिसे विकसित किया जाना है।
सीतामढ़ी सरगुजा, तुरतुरिया बारनावापारा, लोमश ऋषि आश्रम राजिम, शृंगी ऋषि आश्रम सिहावा। इन जगहों से होकर वनवास के समय भगवान राम निकले थे। ऐसी मान्यताएं हैं। जिसे विकसित किया जाना है।