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राजा को पता चला कि ऐसी एक मूर्ति भक्तिन राजिम के पास है, जिसने उनकी जिंदगी बदल दी है। राजा ने माता ने आग्रह किया। सबके कल्याण की भावना से उन्होंने यह मूर्ति मंदिर को सौंप दी। आज उसी महान भक्त माता की जयंती पर पूरी कहानी बता रहे हैं रायपुर के दूधाधारी मठ से राजेश्री महंत डॉ. रामसुंदर दास… राजिम में महिला रहती थी। वह रोज तिल का तेल पिरोकर बेचती थी। इसी से उनका परिवार चलता था। एक दिन वह तेल लेकर बाजार जा रही थी। रास्ते में एक पत्थर समान चीज से टकराकर वह गिर पड़ी। उसका सारा तेल भी बह गया। चोट आने से ज्यादा वह इस बात से दुखी हो उठी कि अब पैसे कैसे आएंगे? घर जाकर सास-ससुर की डांट अलग सुननी पड़ेगी। इसके बाद उन्होंने देखा कि वे किस चीज से टकराकर गिरी हैं। वह भगवान श्रीहरि की चतुर्भुज मूर्ति थी। भक्त राजिम उसे अपने घर ले आईं। रोज श्रद्धा से पूजा करने लगीं। इससे उनके व्यापार में उत्तरोत्तर प्रगति भी हुई। बाद में राजा के आग्रह पर सर्व समाज के कल्याण की भावना से उन्होंने यह मूर्ति मंदिर के लिए सौंप दी। राजिम के राजीव लोचन मंदिर में वही मूर्ति विद्यमान है।
मां ने जहां समाधि ली, वहीं मंदिर
राजिम जयंती पर प्रदेश में साहू समाज का मुख्य समारोह राजिम के साहू छात्रावास में होगा। इसमें प्रदेश के विभिन्न इलाको से साहू समाज के पदाधिकारी, मंत्री, सांसद और विधायक जुटेंगे। कार्यक्रम 2 सत्रों में होगा। पहले सत्र की शुरुआत दोपहर 12 बजे प्रदेश अध्यक्ष टहल साहू द्वारा ध्वजारोहण से होगा। इस सत्र में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू समेत साहू समाज के प्रमुख सांसद, विधायक और मंत्री उपस्थित होंगे। दूसरे सत्र में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय मुख्य अतिथि होंगे। केंद्रीय मंत्री तोखन साहू और उपमुख्यमंत्री अरुण साव जैसे विशिष्ट अतिथि भी शामिल होंगे। इस दौरान माता कर्मा के नाम पर भारत सरकार द्वारा जारी डाक टिकट के लिए मंत्री तोखन साहू को मंच पर सम्मानित किया जाएगा। इसके बाद विशाल समाजिक सभा होगी।
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इसमें सभी जिलों से महिला, पुरुष और युवा उपस्थित होंगे। इस सभा में समाज की प्रगति और कार्यों पर चर्चा की जाएगी। इस मौके पर 3 से 4 हजार लोगों के भोजन की व्यवस्था की गई है। लोकसंगीत में पायल साहू का सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगी। किवदंतियों के मुताबिक, भक्तिन मां राजिम एक दिन मंदिर में आईं। मुख्य द्वार के करीब ध्यान लगाकर बैठ गईं, जो उनकी समाधि में बदल गई। यहीं से उन्होंने मोक्ष को प्राप्त किया। उनकी याद में इस जगह पर एक मंदिर भी बनाया गया है। भगवान राजीव लोचन के दर्शन को आने वाले सभी व्यक्ति भगवान के साथ उनकी अनन्य भक्त मां राजिम के भी दर्शन जरूर करते हैं।