रायपुर. ‘पत्रिका’ के हास्य कवि सम्मेलन में शिरकत करने आए कवियों से हास्य व्यंग सहित अन्य पहलुओं पर चर्चा हुई। अपनी कविताओं के जरिए लोगों के दिल में जगह बनाने वाले चार जाने-माने कवि और गीतकार थोड़े तनाव में दिखे। तनाव की वजह पूछने पर कहा मैं तो हर रात इस तनाव में रहता हूं, न जाने किस दिन मोदी जी रात्रि के 12 बजे से बड़े कवियों को प्रचलन से बाहर कर दें। शिरकत करने आए कवियों ने देश के अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। महेंद्र अजनबी नोटबंदी का फैसला 17 दिन पहले लिया गया था, इसका असर अब भी जारी है। लोग सुबह से शाम तक अपे ही पैसे के लिए लाइन में खड़े हैं। कईयों की बारात कैंसिल कर दी गई, कई लोगों ने दम तोड़ दिया। लेकिन इनके प्रति किसी ने कोई संवेदना व्यक्त नहीं की। किसान और गांववासी जिनके पास न तो स्मार्ट फोन हैं और न ही वह इंटरनेट की दुनिया से जुड़े हैं। एेसे लोगों के बारे में बिना सोचे समझे इतना बड़ा फैसला वो भी बिना तैयारी के ले लिया। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नाकामी की वजह से हर कोई परेशान है। हास्य कवि अजनबी ने बताया कि उनके पास अभी कविता तक लिखने का वकत नहीं है, उन्होंने कहा जब बैंक और एटीएम की लाइन से फुर्सत मिले तो कविता की कुछ लाइन लिख सकें। इसके अलावा उन्होंने राजनीतिक ढांचे की जमकर चुटकी ली। संपत सरल अगर देश से भ्रष्टाचार मिटाना हैं तो सबसे पहले राजनीतिक लोगों को आरटीआई के दायरे में लाएं और धर्म के नाम पर पैसा डोनेट करने वाले लोगों के धन का हिसाब सामने आना चाहिए। भारत देश अमेरिका नहीं हैं, देश के लोगों के बारे में बिना सोचे-समझे फैसला लेना ठीक नहीं। वहीं उन्होंने चर्चा के दौरान यह भी कहा कि इस फैसले से ई-कॉमर्स, मल्टीमीडिया कंपनियों को फायदा दिलाने के लिए किया गया। रमेश मुस्कान नोटबंदी का फैसला जो माननीय ने जल्दबाजी में किया है वह हम कवि नहीं करेंगे…, सही समय का इंतजार और सारे पहलुओं को ध्यान में रखकर फैसला लेना उचित होगा। चर्चा के दौरान कवि मुस्कान ने कहा, भारत की जनता और उनसे जुड़ी हुई समस्या दिल्ली में गद्दी में बैठकर नहीं देखी जा सकती है, इसके लिए जमीन से जुडऩा होगा। लोगों की समस्याओं को समझना होगा। खुद को हाइलाइट करने का बढि़या जरिया है। तेजनारायण बेचैन कवि बेचैन ने चर्चा के दौरान अपनी बात कविता के माध्यम से कही, ‘मोदी जी ने उफनाते हुए समुद्र में सिंघाड़े की खेती करने का इकलौता स्वदेशी जज्बा ठाना है, जो निश्चित ही विश्व पटल पर जल्दबाजी में लिया गया निर्णय साबित होगा। आगे उन्होंने व्यंग के जरिए राजनीति में बैठे लोगों पर चुटकी ली। उन्होंने बड़ी बात कुछ कम शब्दों के कही, देश के राजा को रोते हुए उसकी प्रजा कभी नहीं देखना चाहती। प्रमोद तिवारी कानपुर से आए गीतकार प्रमोद तिवारी ने बताया, नोटबंदी से उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई। जरूरत की सारी चीजें घर पर हैं। परेशान है तो केवल उनका दिल- दिमाग। वजह है जब एटीएम में खांचे दुरुस्त नहीं थे, बैंकों में नोट नहीं थे तो क्या पूरे देश को लाइन में लगाना सही था। उन्होंने ने अपनी परेशानी को जेहन में रखकर कहा, आखिर एेसी कौन सी मजबूरी थी जो इतना बड़ा फैसला लेना पड़ गया? क्या किसी ने तैयारी नहीं होने की जानकारी दी?।