दावा किया जाता है कि 15-20 दिनों से ऐसा ही ढर्रा चल रहा है। लेकिन, न तो किसी ने स्टेशन मास्टर के रजिस्टर में न ही रेल मदद पोर्टल और 139 के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई है। जबकि हकीकत ये है कि मुख्य यात्री गेट हो या मुख्य आरक्षण केंद्र। कुछ देर रुकने के बाद भी लोग रवाना हो जाते हैं, लेकिन अब दो मिनट भी रुकना यानी कि बाइक का 50 रुपए और कार खड़ी किए तो सीधे 100 रुपए जुर्माना भरो। इसमें से सीधे तौर पर 40 और 80 रुपए रेलवे के खजाने में जमा होता है।
कुल मिलाकर रेलवे ऐसा तरीका अपनाया है कि यदि बाइक, कार से कोई स्टेशन में एंट्री करता है तो सीधे पार्किंग में जाकर अपना वाहन खड़ा करे और 10 से 20 रुपए शुल्क जमा करे। फिर भले ही दो घंटे तक रहें। यदि स्टेशन के सामने, मंदिर के पास या पूरे परिसर में कहीं भी अपने परिजनों के आने का इंतजार करेगा तो उसे जुर्माना के रूप में रेलवे का खजाना भरना पड़ेगा।
भले ही ट्रेनों से आने वाले यात्रियों को प्लेटफार्म से बाहर निकलने में 5 से 7 मिनट से ज्यादा का समय लग जाए। इससे रेलवे प्रशासन को कोई लेना-देना नहीं है। रेलवे के जिम्मेदारों को इससे भी कोई मतलब नहीं है कि निर्धारित समय से एक मिनट भी ट्रेन आने-जाने में लेट न हो।
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यदि धोखे से ही सही कहीं रुक गए तो जुर्माना भरो। यही तरीका विवाद का मुख्य कारण है। जबकि रेलवे खुद यह मानना है कि सबसे बड़ा पब्लिक ट्रांसपोर्ट रेलवे है, यह कोई एयरपोर्ट नहीं है कि केवल धनाढ्य लोग ही आना-जाना करते हैं। स्टेशन में सभी तरह के लोग ट्रेनों में सफर करते हैं। उनके पास सामान भी काफी रहता है।
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स्टेशन का बार बंद कराने में दिलचस्पी नहीं हैरानी यह है कि रेलवे प्रशासन अपने एक नंबर प्लेटफार्म से लगी हुई बिल्डिंग में बार संचालित कर रहा है, उसे बंद कराने में कोई दिलचस्पी नहीं है। वहीं स्टेशन से बाहर निकलते ही शराब दुकान से सामना होता है। ऐसी अव्यवस्थाएं सुधारने में कोई ध्यान नहीं है।
पार्सल की गाडि़यों की चल रही मनमानी आम यात्रियों के लिए स्टेशन में व्यवस्था सुधारने के लिए बूम बैरियर सिस्टम लागू कर करके अधिक से अधिक वसूली पर फोकस किया गया है। वहीं दूसरी तरफ राजपूताना होटल तरफ की सड़क के दोनों तरफ पार्सल की गाडि़यां लाइन से खड़ी कराई जा रही है। जबकि यह दायरा भी पार्किंग ठेके में शामिल है। इसलिए अब पार्किंग ठेकेदार ऐसी गाडि़यों से भी नो पार्किंग का जुर्माना वसूलने की सूचना रेल अफसरों को दिया है। इससे भी एक नया विवाद उत्पन्न हो गया है। क्योंकि पार्सल कार्यालय के सामने मामूली जगह होने से सभी गाडि़यां आ नहीं सकती हैं।