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रायपुर

गलत उत्तर को सही बताया, कम लिखने पर भी पूरे नंबर, देखें CGPSC के 12 बड़े कारनामे

CGPSC Scam: राज्य में लोक सेवा आयोग 22 साल पहले बना था। इसके बाद से ही यह लगातार विवादों में रहा है। एग्जाम से इंटरव्यू तक भाई-भतीजावाद चलाकर अपनों को नौकरी दिलाने की बात हो या गलत उत्तर पर भी पूरे नंबर देने की, बीते 22 सालों में पीएससी का ऐसे 12 बड़े विवादों से नाता रहा है।

रायपुरFeb 08, 2024 / 12:59 pm

Khyati Parihar

Raipur news राज्य में लोक सेवा आयोग 22 साल पहले बना था। इसके बाद से ही यह लगातार विवादों में रहा है। एग्जाम से इंटरव्यू तक भाई-भतीजावाद चलाकर अपनों को नौकरी दिलाने की बात हो या गलत उत्तर पर भी पूरे नंबर देने की, बीते 22 सालों में पीएससी का ऐसे 12 बड़े विवादों से नाता रहा है।
ताजा मामला 2021-22 में हुई भर्तियों को लेकर है। बुधवार को ईओडब्ल्यू ने मामले में तत्कालीन चेयरमैन टामन सोनवानी समेत अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया है। दरअसल, हुआ यूं था कि 2021 की मेरिट लिस्ट आते ही भाई-भतीजावाद के चलते पीएससी पर बैकडोर एंट्री देने के आरोप लगे। मामला कोर्ट पहुंचा। 18 अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर रोक लगी। इसके बाद 2022 में हुई परीक्षा भी विवादों में घिरी। इसमें पीएससी की मुख्य लिखित परीक्षा की मूल्यांकन आंसरशीट सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। प्रश्नों के उत्तर और उनके मूल्यांकन पर सवाल उठे। मसलन गलत उत्तर को सही बताया गया। कम लिखने पर ज्यादा नंबर दिए गए वगैरह।
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घरवाले भी कहने लगे- ये सब छोड़ रोजगार की तलाश करो

CGPSC Scam: पीएससी में लगातार सामने आ रही गड़बड़ी से वो अभ्यर्थी हताश हैं जो सालों से परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। सरायपाली के युवा हीरेंद्र ठाकुर 3 सालों से रायपुर में रहकर पीएससी की तैयारी कर रहे हैं। वे कहते हैं, बैकडोर से एंट्री जैसी बातों ने काफी निराश कर दिया है। अब तो घरवाले भी कहते हैं कि पीएससी में चयन असंभव है। कुछ दूसरी तैयार करो। हीरेंद्र कहते हैं कि केवल बड़े पदों पर बैठे अफसरों पर कार्रवाई काफी नहीं है। उनके मातहतों को भी जांच के दायरे में लिया जाए।
कॉपियों की ऑनलाइन जांच बंद हो, गलत मूल्यांकन पर कार्रवाई जरूरी

मौजूदा सिस्टम के मुताबिक अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिका को स्कैन करने के बाद जांच करने के लिए भेजा जाता है। अभ्यर्थियों का कहना है कि ये सिस्टम बंद होना चाहिए। सटीक मूल्यांकन के लिए कॉपियां ऑफलाइन ही जांची जाएं। इसी तरह गलत मूल्यांकन करने वालों की पहचान कर उन्हें ब्लैक लिस्टेड किया जाए। उन पर जुर्माना भी लगाया जाए। ओएमआर शीट की कार्बन कॉपी अभ्यर्थियों को उपलब्ध कराई जाए। इसके अलावा भर्तियों को लेकर बनने वाली जांच कमेटियों में अभ्यर्थियों को भी शामिल किया जाए, ताकि जांच में पारदर्शिता आए। इससे युवाओं का पीएससी पर भरोसा बने रहेगा।
साल-दर-साल इन विवादों से पीएससी का नाता

1. 2003 में पीएससी ने चयन सूची जारी की जिसमें काफी गड़बड़ी थी। मामला कोर्ट तक पहुंचा।
2. 2005 में हुई पीएससी की परीक्षा के बाद इंटरव्यू हुए। इसका ऑडियो वायरल होने पर बवाल।
3. 2008 में परीक्षा पैटर्न बदलने पर बवाल। 2011 तक मेंस में ऑब्जेक्टिव सवाल पूछे गए थे।
4. 2012 में मेंस में सात पेपर की लिखित परीक्षा का प्रावधान किया गया। इस पर भी विवाद।
5. 2013 में प्रीलिम्स के मॉडल उत्तर को लेकर अभ्यर्थियों ने आपत्ति जताई। सुनवाई नहीं हुई।
6. 2016 में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में इंग्लिश के 100 में से 47 सवाल गलत। परीक्षा ही रद्द।
7. 2017 में पीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में कई गलत सवाल पूछे गए थे। इस पर काफी हंगामा हुआ।
8. 2018 में इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा में पीएससी ने जो विकल्प दिए थे, उसे लेकर काफी विवाद हुआ।
9. 2019 से मॉडल उत्तर पर आपत्ति तो मंगाई जाती है, लेकिन संशोधित उत्तर भर्ती प्रक्रिया खत्म होने के बाद जारी होते हैं। इसे लेकर छात्रों में अभी भी काफी नाराजगी।
10. 2020 में प्री-लिम्स का स्तर कठिन। अभ्यर्थी आज भी इसमें बदलाव की मांग कर रहे हैं।
11. 2021 में बैकडोर एंट्री को लेकर विवाद। मामला कोर्ट में गया। तत्कालीन चेयरमैन पर ईओडब्ल्यू में केस।
12. 2022 में मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन पर सवाल। तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल।
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