नगर निगम के सामने ये चुनौतियां
साफ-सफाई
राजधानी के 70 वार्डों में साफ-सफाई की व्यवस्था निगम और निजी एजेंसियों के हवाले हैं। बीते 2 वर्षों से नगर-निगम स्वच्छता रैंकिंग में टॉप-20 में भी स्थान नहीं बना सका है। स्वच्छता रैंकिंग के लिए इसी माह केंद्रीय टीम निरीक्षण करेगी।
ट्रेचिंग ग्राउंड प्रोसेसिंग प्लांट- सरोना ट्रेचिंग ग्राउंड के बाद निगम ने सकरी में कचरा फेंकना शुरू किया है, लेकिन यहां अभी तक प्रोसेसिंग प्लांट नहीं लगाया जा सका है।
डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन- शहर के कई इलाकों में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन को लेकर शिकायतें मिल रही है। शहर के कई ऐसे इलाके हैं, जहां गाडिय़ां हफ्ते में 2 से 3 दिन ही पहुंच
रही है।
ड्रेनेज सिस्टम
शहर में 40 साल पहले ड्रेनेज सिस्टम पर काम हुआ था। बीते वर्ष 19 सड़कों पर ड्रेनेज काम करने के लिए एजेंसी ढूंढने की शुरुआत की गई थी। बरसात के दिनों में शहर के कई इलाकों में घरों तक पानी घुसना नई बात नहीं है। निगम ने अब तक ड्रेनेज सिस्टम को लेकर बड़ा काम नहीं किया है।
आईटीएमएस
2 साल बाद भी आईटीएमएस का प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया जा सका है। इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजेमेंट सिस्टम (आईटीएमएम) के तहत अब तक 184 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। पहले फेस में कई कार्यों के अधूरे रहने के बाद दूसरे फेस के लिए अधिकारियों ने फिर से प्रस्ताव भेजा है।
अवैध दुकानें
शहर के चारों दिशाओं में अतिक्रमण की वजह से सड़कें छोटी पड़ रही है। दुकानों के बाहर तक सामान फैलाकर रखने की वजह से 50 से 60 फीट की सड़क 20 से 30 फीट में सिमट चुकी है।
स्मार्ट ट्रैफिकिंग
बदतर ट्रैफिक और पार्किंग के नहीं होने से शहर त्रस्त है। सिर्फ एक मल्टीलेवल पार्किंग हैं, जवाहर बाजार पार्किंग का प्रोजेक्ट भी एक साल पीछे हो चुका है। बाजारों के बड़े शो-रूम में भी पार्किंग नहीं होने से ग्राहकों को बगले झांकने पड़ रहे हैं।
प्रतिबंधित कैरीबैग
राजधानी में 2016 से कैरीबैग पर प्रतिबंध हैं। 2019 में जागरूकता अभियान चलाया गया, लेकिन राजधानी के बाजारों में आसानी से यह उपलब्ध हैं। कई ऐसे स्थान हैं, जहां सौंदर्यीकरण और इसे पर्यटक स्थान के रूप में डवलप करने की जरूरत हैं।
रेन वॉटर हार्वेस्टिंग
रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए वर्ष 2019 में अभियान कमजोर रहने की वजह से यह पूरा नहीं हो पाया। निगम ने शहर के 2500 से अधिक मकानों में यह सिस्टम लगाने के लिए निजी एजेंसियों को आमंत्रित किया। टेंडर होने के बाद भी काम पूरा नहीं हो पाया। नगर-निगम में इसके लिए लोगों द्वारा लगभग 12 करोड़ की राशि अभी भी मद में जमा है।
में लिया है।