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रायपुर को स्मार्ट सिटी बनाने की राह में ये हैं 7 बड़ी चुनौतियां, जानिए इन Challenges के बारे में

शहर को स्मार्ट बनाने के लिए शहर में 7 बड़ी चुनौतियां सामने आ रही है, जिसे पूरा करने के बाद ही रायपुर स्मार्ट सिटी बन पाएगा।

रायपुरJan 10, 2020 / 01:47 pm

Ashish Gupta

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रायपुर. स्वच्छता रैंकिंग के पहले नगर-निगम का पूरा ध्यान फिलहाल साफ-सफाई को लेकर है, लेकिन शहर को स्मार्ट बनाने के लिए शहर में 7 बड़ी चुनौतियां सामने आ रही है, जिसे पूरा करने के बाद ही रायपुर स्मार्ट सिटी बन पाएगा। इसमें साफ-सफाई सबसे प्रमुख हैं, लेकिन इसके साथ ही ट्रेचिंग ग्राउंड प्रोसेसिंग प्लांट, डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन, आईटीएमएस, स्मार्ट ट्रैफिकिंग, अतिक्रमण, अवैध दुकानें, ड्रेनेज सिस्टम, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, पाकिंग, कैरीबैग मुक्त शहर शामिल हैं।
नगर-निगम ने शहर को इंटेलिजेंट बनाने के लिए स्मार्ट सिटी के जिस मद में करोड़ों फूंके वह अब तक शुरू नहीं हो पाया है। जानकारी के मुताबिक शहर में लगभग 1000 कैमरे और हाईटेक सिस्टम लगे हैं, लेकिन स्थापना के दो साल भी यह पूरी तरह शुरू नहीं हो सका है। नगर-निगम के सामने विभिन्न योजनाओं को पूरा करने की जवाबदारी हैं। कई प्रोजेक्ट 5 साल में भी पूरा नहीं किया जा सका है।

नगर निगम के सामने ये चुनौतियां
साफ-सफाई
राजधानी के 70 वार्डों में साफ-सफाई की व्यवस्था निगम और निजी एजेंसियों के हवाले हैं। बीते 2 वर्षों से नगर-निगम स्वच्छता रैंकिंग में टॉप-20 में भी स्थान नहीं बना सका है। स्वच्छता रैंकिंग के लिए इसी माह केंद्रीय टीम निरीक्षण करेगी।
ट्रेचिंग ग्राउंड प्रोसेसिंग प्लांट- सरोना ट्रेचिंग ग्राउंड के बाद निगम ने सकरी में कचरा फेंकना शुरू किया है, लेकिन यहां अभी तक प्रोसेसिंग प्लांट नहीं लगाया जा सका है।
डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन- शहर के कई इलाकों में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन को लेकर शिकायतें मिल रही है। शहर के कई ऐसे इलाके हैं, जहां गाडिय़ां हफ्ते में 2 से 3 दिन ही पहुंच
रही है।

ड्रेनेज सिस्टम
शहर में 40 साल पहले ड्रेनेज सिस्टम पर काम हुआ था। बीते वर्ष 19 सड़कों पर ड्रेनेज काम करने के लिए एजेंसी ढूंढने की शुरुआत की गई थी। बरसात के दिनों में शहर के कई इलाकों में घरों तक पानी घुसना नई बात नहीं है। निगम ने अब तक ड्रेनेज सिस्टम को लेकर बड़ा काम नहीं किया है।

आईटीएमएस
2 साल बाद भी आईटीएमएस का प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया जा सका है। इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजेमेंट सिस्टम (आईटीएमएम) के तहत अब तक 184 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। पहले फेस में कई कार्यों के अधूरे रहने के बाद दूसरे फेस के लिए अधिकारियों ने फिर से प्रस्ताव भेजा है।

अवैध दुकानें
शहर के चारों दिशाओं में अतिक्रमण की वजह से सड़कें छोटी पड़ रही है। दुकानों के बाहर तक सामान फैलाकर रखने की वजह से 50 से 60 फीट की सड़क 20 से 30 फीट में सिमट चुकी है।

स्मार्ट ट्रैफिकिंग
बदतर ट्रैफिक और पार्किंग के नहीं होने से शहर त्रस्त है। सिर्फ एक मल्टीलेवल पार्किंग हैं, जवाहर बाजार पार्किंग का प्रोजेक्ट भी एक साल पीछे हो चुका है। बाजारों के बड़े शो-रूम में भी पार्किंग नहीं होने से ग्राहकों को बगले झांकने पड़ रहे हैं।

प्रतिबंधित कैरीबैग
राजधानी में 2016 से कैरीबैग पर प्रतिबंध हैं। 2019 में जागरूकता अभियान चलाया गया, लेकिन राजधानी के बाजारों में आसानी से यह उपलब्ध हैं। कई ऐसे स्थान हैं, जहां सौंदर्यीकरण और इसे पर्यटक स्थान के रूप में डवलप करने की जरूरत हैं।

रेन वॉटर हार्वेस्टिंग
रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए वर्ष 2019 में अभियान कमजोर रहने की वजह से यह पूरा नहीं हो पाया। निगम ने शहर के 2500 से अधिक मकानों में यह सिस्टम लगाने के लिए निजी एजेंसियों को आमंत्रित किया। टेंडर होने के बाद भी काम पूरा नहीं हो पाया। नगर-निगम में इसके लिए लोगों द्वारा लगभग 12 करोड़ की राशि अभी भी मद में जमा है।

रायपुर नगर निगम महापौर एजाज ढेबर ने कहा, शहर को खूबसूरत बनाने के लिए पार्षदों के साथ एक टीम वर्क के रूप में काम करूंगा। सभी जोन कमिश्नरों को पार्षदों से संपर्क करने कहा गया है, ताकि सभी जगहों से प्लान सामने आ सके। एक समग्र प्लान के तहत पार्र्किंग, ट्रैफिक, वार्डों में पानी जमाव और ड्रेनेज जैसे सिस्टम को प्राथमिकता
में लिया है।
निगम आयुक्त शिव अनंत तायल ने कहा, विभिन्न योजनाओं पर कार्य जारी है। ट्रेचिंग ग्राउंड में प्रोसेसिंग प्लांट, मल्टीलेवल पार्किंग, आईटीएमएम की योजनाएं शीघ्र पूरी हो जाएगी। रेन वाटर हार्वेस्टिंग का लक्ष्य बाकी है, जिसे इस साल पूरा कर लिया जाएगा। कुछ योजनाओं पर आम सहमति बनाकर काम किया जाएगा।
रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के महाप्रबंधक एसके सुंदरानी ने कहा, कुछ काम अधूरे हैं, जिसे पूरा किया जाना है। आईटीएमएम की कई योजनाओं पर शीघ्र कार्य पूरा कर लिया जाएगा।

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