प्रभु के प्रति समर्पण भाव से जीवन खुशहाल संतोषीनगर में चल रही श्रीरामकथा सुनाते हुए ओमानंद महाराज ने राम नाम की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान केवल भाव के भूखे होते हैं। उनके प्रति समर्पण ही व्यक्ति के जीवन में सफलता का द्वार खोलता है। उन्होंने कहा कि राम नाम की ऐसी मधुरता कि इसे जपने से काम, क्रोध, मद सब नष्ट हो जाता है। इससे जीवन मधुर हो जाता है। महाराज ने कहा कि आप कितने भी शक्तिशाली हों, बलशाली हों, अपनी समस्त शक्ति, बल श्रीराम के चरणों में समर्पित कर दें, जैसे महर्षि विश्वामित्र ने किया। उन्होंने अपनी सारी विद्या, ज्ञान, अस्त्र-शस्त्र, शास्त्र श्रीराम के चरणों में समर्पित कर दिए थे। परिणाम स्वरूप राक्षसों का संहार हो गया, जिन्होंने यज्ञ पूजन में बाधा थे। कथा प्रसंग में श्रद्धालु धनुष यज्ञ में झूमे। जयकारे लगाते हुए रामकथा के रस में भाव विभोर हुए।
तप से खुलता है आत्मकल्याण का मार्ग
सदर बाजार स्थित तेरापंथ अमोलक भवन में आचार्य महाश्रमण की सुशिष्या समणी निर्देशिका डॉ. ज्योतिप्रज्ञा, समणी डॉ. मानसप्रज्ञा की निश्रा में तपस्वियों द्वारा निरंतर तप प्रत्याखान लेकर कर्म निर्जरा की जा रही है। समणी वृंद की प्रेरणा से तपस्यारत प्रिंयजीता दुगड़ 8 की तपस्या के प्रत्याखान के साथ शुक्रवार को भिलाई से पधारीं। स्वागत तपस्वी का स्वागत करते हुए तेरापंथ महिला मंडल, रायपुर ने मंगलगीत प्रस्तुत किया। सभी ने तप अनुमोदना की। समणी डॉ. मानसप्रज्ञा ने तपस्या की अनुमोदना करते हुए कहा कि तपस्वी ने ’रसना पर चाबी रुपी कन्ट्रोल लगा कर कर्म निर्जरा की’’ साथ ही नाम प्रियंजीता अनुरुप प्रिय वस्तु के मोह को जीत कर तपस्या का पूण्यार्जन किया।
सदर बाजार स्थित तेरापंथ अमोलक भवन में आचार्य महाश्रमण की सुशिष्या समणी निर्देशिका डॉ. ज्योतिप्रज्ञा, समणी डॉ. मानसप्रज्ञा की निश्रा में तपस्वियों द्वारा निरंतर तप प्रत्याखान लेकर कर्म निर्जरा की जा रही है। समणी वृंद की प्रेरणा से तपस्यारत प्रिंयजीता दुगड़ 8 की तपस्या के प्रत्याखान के साथ शुक्रवार को भिलाई से पधारीं। स्वागत तपस्वी का स्वागत करते हुए तेरापंथ महिला मंडल, रायपुर ने मंगलगीत प्रस्तुत किया। सभी ने तप अनुमोदना की। समणी डॉ. मानसप्रज्ञा ने तपस्या की अनुमोदना करते हुए कहा कि तपस्वी ने ’रसना पर चाबी रुपी कन्ट्रोल लगा कर कर्म निर्जरा की’’ साथ ही नाम प्रियंजीता अनुरुप प्रिय वस्तु के मोह को जीत कर तपस्या का पूण्यार्जन किया।
डॉ. ज्योतिप्रज्ञा जी ने तप की महिमा के 2 लाभ बताए- बाहृय व आंतरिक। प्रत्येक के 3-3 लाभ हैं जैसे – रोग मुक्ति, कामना पूर्ति, देह पुष्टि, मानसिक समस्याओं का समाधान। असंभव को दिमाग से बाहर निकालें
श्री रावतपुरा सरकार आश्रम रायपुर में चातुर्मास व्रत अनुष्ठान के अंतर्गत सुबह-शाम प्रार्थना सभा के साथ ही अनेक अनुष्ठान जारी हैं। महाराज श्री के सानिध्य में भक्तों ने सत्संग के साथ ही मंगलमयी बेला में विशेष दिव्य अनुष्ठान के भागी बन रहे हैं। श्री लक्ष्मी नरसिंह अर्चन संपन्न कर सुख-समृद्धि की कामना की। इस पर श्री सदगुरुदेव भगवान कहते हैं हर चीज को असंभव कहने वाले लोग कभी इतिहास नहीं रचते, वह तो केवल इतिहास पढ़ते हैं। इतिहास का नया कीर्तिमान तो वह लोग रचते हैं जो किसी भी चीज को असंभव नहीं मानते।
श्री रावतपुरा सरकार आश्रम रायपुर में चातुर्मास व्रत अनुष्ठान के अंतर्गत सुबह-शाम प्रार्थना सभा के साथ ही अनेक अनुष्ठान जारी हैं। महाराज श्री के सानिध्य में भक्तों ने सत्संग के साथ ही मंगलमयी बेला में विशेष दिव्य अनुष्ठान के भागी बन रहे हैं। श्री लक्ष्मी नरसिंह अर्चन संपन्न कर सुख-समृद्धि की कामना की। इस पर श्री सदगुरुदेव भगवान कहते हैं हर चीज को असंभव कहने वाले लोग कभी इतिहास नहीं रचते, वह तो केवल इतिहास पढ़ते हैं। इतिहास का नया कीर्तिमान तो वह लोग रचते हैं जो किसी भी चीज को असंभव नहीं मानते।
आज के दौर में हर जगह, हर किसी के दिमाग में बस यही बात बैठी हुई है कि ये बीज तो असंभव है और आप ऐसी फैली हुई चीजों पर विश्वास भी कर लेते हैं। महाराज ने कहा कि जब तक आप किसी भी कार्य को लेकर मन में यह धारणा बनाते रहेंगे तो कोई भी कार्य असंभव होगा। इसलिए यदि आगे बढ़ना चाहते हैं तो आपको हमेशा अपने दिमाग में एक बात रखनी होगी की हर बड़े से बड़ा कार्य संभव है। अपने संदेश में महाराज ने कहा- एक बात को गाठ बांध के रख लीजिए कि वह सब कुछ कर सकते हो जो बाकी लोग कर सकते हैं।