Raipur City History : गोल बाजार में छोटी-बड़ी एक हजार से अधिक दुकानें हैं। जहां हर धर्म के पूजा-पाठ की सामग्री बेची जाती है। गुजरे दौर में इसे मित्र बाजार कहा जाता था। यह भी पढ़ें : चापलूसी नहीं, लड़कों की काबिलियत से ही प्रभावित होती हैं लड़कियां
अन्य राज्यों के लोग भी आते थे Raipur City History : गोल बाजार का नाम पहले मित्र बाजार था। 1818 में अंग्रेजों ने रतनपुर(ratanpur) के बदले रायपुर (raipur capital)को मुख्यालय बनाया। जिसके बाद से गोल बाजार का विकास तेजी से हो गया है।
यह भी पढ़ें : Weather Update : प्री-मानसून बारिश का इंतजार, 24 घंटे में गरज-चमक के साथ आंधी चलने की संभावना Raipur City History : इस समय गोल बाजार का नाम प्रचलित हो गया। छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती राज्य ओडिशा, मध्यप्रदेश, झारखंड के सेठ, साहूकार, व्यापारी, किसानों के अलावा अंग्रेज बैलगाड़ी, घोड़े, तांगे पर सवार होकर आते थे। वहीं गोल आकृति होने की वजह से लोग इसे गोल बाजार पड़ गया। निगम अब इसे नए स्वरूप देने की तैयारी में है।
भोंसले राजाओं ने कराया था निर्माण Raipur City History : इतिहासकार आचार्य रामेंद्रनाथ मिश्र ने बताया, गोल बाजार की खासियत यह है कि यहां जन्म से लेकर मृत्य तक इस्तेमाल की जाने वाली हर तरह की सामाग्री आसानी से मिल जाती है।
यह भी पढ़ें : Cg Yoga Tournament: छत्तीसगढ़ की योग टीम में रायपुर के 15 खिलाड़ी चयनित गोल बाजार का निर्माण नागपुर के भोसला राजाओं ने रायपुर के अलावा, बिलासपुर, राजनांदगांव, संबलपुर में कराया। रायपुर जब राजधानी बना तो इसके साथ ही गोल बाजार बड़ा व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित हो गया।