चेहरे की झुर्रियों को कम कर त्वचा में कसाव लाता है अनार का टोनर, जानें घर पर बनाने का क्या है आसान तरीका इसलिए खेती को लेकर रूझान बढऩे की संभावना
लॉकडाउन से रोजगार छिन जाने के कारण बड़ी संख्या में अन्य प्रदेशों में मजदूरी करने वालों की वापसी हुई है। वहीं छोटे किसान जिनके पास एक-दो एकड़ जमीन है, वो भी खेती से परहेज करने लगे थे, लेकिन अब दूसरा रोजगार नहीं होने के कारण वे भी खेती की तैयारी कर रहे हैं। इससे खेती का रकबा बढऩा तय माना जा रहा है। इसीलिए लक्ष्य से ज्यादा बीज खरीदी की बात कही जा रही है।
Covid-19 : बच्चों की सेहत पर दुष्प्रभाव डाल रहा लॉकडाउन, जानें क्या हैं साइड इफेक्ट रबी की कटाई रही प्रभावित
कोरोना के संक्रमण की शुरुआत में लॉकडाउन के कारण मई-जून में करीब महीनेभर रबी में धान और गेहूं की कटाई प्रभावित रही। लॉकडाउन में बंदिश के कारण कई किसान समय पर फसल की कटाई नहीं कर पाए। बाद में सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के शर्तों के साथ अनुमति दी गई, लेकिन तब तक कई किसानों को दाने झड़ जाने के चलते नुकसान उठाना पड़ा।
लॉकडाउन और बेमौसम बारिश के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन किसानों के पास दूसरा विकल्प नहीं है। इस बार लॉकडाउन के कारण कई लोगों के पास दूसरा रोजगार नहीं है। इसलिए खेती का रकबा बढ़ सकता है। -रविप्रकाश ताम्रकार, संयोजक, संभागीय संयुक्त किसान मोर्चा
लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में अन्य प्रदेशों में गए लोग वापस लौटे हैं। ऐसे में खेती से पुराना नाता होने के कारण लोगों से इस कार्य से जुडऩा स्वाभाविक है। ऐसे में बीज विक्रय और खेती का रकबा बढऩा स्वाभाविक है। -राजकुमार गुप्ता, संयोजक, छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन
लॉकडाउन के बाद भी केंद्र से जिले को पर्याप्त बीज सप्लाई किया गया है। वहीं सहकारी समितियों से किसानों ने धान लक्ष्य से लगभग 1800 क्विंटल और अरहर लक्ष्य से लगभग 150 क्विंटल अधिक बीज उठाव किया गया है।– एसके बेहरा, प्रबंधक बीज निगम रूआबांधा