सरकारी विभागों में पावर कंपनी के सबसे बड़े कर्जदारों की बात करें तो नगरीय निकाय इसमें पहले नंबर पर आते हैं। प्रदेश के नगरीय निकायों ने सबसे ज्यादा 764 करोड़ रुपए नहीं पटाए हैं। पावर कंपनी को सबसे बड़ा झटका इन्होंने ही दिया है। 269 करोड़ के बिल के साथ पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर है।
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ज्यादातर नगरीय निकाय कंगाल यही पेमेंट में लेटलतीफी की वजह प्रदेश में 14 नगर निगम, 44 नगर पालिका और 112 नगर पंचायत हैं। नगरीय निकायों की कुल संख्या 170 के करीब है। सरकारी विभागों के बकाया बिजली बिल का 55% अकेले यही होल्ड करते हैं। पत्रिका पड़ताल में पता चला कि ज्यादातर नगरीय निकाय कंगाली से जूझ रहे हैं इसलिए समय रहते बिजली बिल का पेमेंट नहीं कर पाते। नगरीय निकायों के पास आय के ज्यादा स्रोत नहीं हैं। कई तरह के टैक्स जरूर लगाए जाते हैं, लेकिन इसकी वसूली टेढ़ी खीर साबित होती है। ऐसे में कर्मचारियों को समय पर सैलरी मिलना ही बड़ी बात है।
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पावर कंपनी के टॉप-10 बकायादार ये हैं… 1. नगरीय निकाय: 764.65 करोड़
2. पंचायत व ग्रामीण विकास: 269.40 करोड़
3. स्कूल शिक्षा विभाग: 73.14 करोड़
4. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी: 62.52 करोड़
5. चिकित्सा विभाग: 57.86 करोड़
6. गृह विभाग: 30.90 करोड़
7. महिला एवं बाल विकास: 19.63 करोड़
8. आदिम जाति कल्याण: 12.95 करोड़
9. राजस्व विभाग: 10.23 करोड़
10. आवास एवं पर्यावरण: 9.90 करोड़
(इसके अलावा 40 से ज्यादा विभागों पर 68.77 करोड़ रुपए बकाया हैं)
बकाया राशि का विभागों से भुगतान करवाने के लिए मंत्रालय और सचिव स्तर पर फाइल चलाई गई है। इसके अलावा अभियान के जरिए भी निचले स्तर पर रिकवरी की कार्रवाई की जा रही है।
– मनोज खरे, एमडी, छत्तीसगढ़ पावर कंपनी