मैं भी जीना चाहती हूं
इस दौरान स्टूडेंट्स के एक ग्रुप ने चित्रकारी की। इसमें आसिफा का दर्द सामने आया। मैं जीना चाहती हूं… शीर्षक से उपासना, राहुल, खेमलता और प्रतिभा ने पेंटिंग बनाई जिसमें रेपिस्ट को फांसी देने की मांग की गई। इसी तरह शायरा, वर्षा, निर्मला, रेशमा और बेला, रविशंकर, तूलिका, राधिका ने भी चित्रकारी में आसिफा के दर्द को रेखांकित करने की कोशिश की।
आस सिर्फ इंसाफ की
उपासना ने आसिफा के अल्फाबेट का फूलफार्म आस सिर्फ इंसाफ की, फ्री इंडिया है ये आज की लिखा। अपनी कविता में उन्होंने ‘ उड़ते धूल भी गली के, आज आंसुओं में सना है, मासुमियत की नन्ही कली, उठ जाओ कुछ कहना है’ सुनाकर खूब तालियां बटोरीं।
… अदालतों में नीलाम होती है
एमए हिस्ट्री के स्टूडेंट राहुल कर ने सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए कहा, कोई गर्भ में मार दी जाती है, तो कोई दहेज में कुर्बान होती है। अब तो मेरे देश में आबरू सड़कों में लुटकर अदालतों में नीलाम होती है। सजा दिलाए न दिलाए ये सिस्टम , सवाल बहुत करता है, पहले से शर्मशार हुई मानवता को और भी तार-तार करता है।
समाधान जरूरी
डिकेश्वर ठाकुर ने कहा, बचपन में पढ़ा था कि नाखून क्यों बढ़ते हैं? लेकिन समझ अब आया। हमारा दुर्भाग्य है कि सभी से शिकायत ही करते आए हैं जबकि सोचना तो समाधान पर भी चाहिए। बेला ने कहा, शुरुआत तो भ्रूण को मारने से होती है। विचारों का स्तर गिर रहा है। राधिका ने कहा, शिक्षा हमें कहां लेकर जा रही है। रिस्पेक्ट और रहन-सहन में असर नहीं हो रहा।
प्राब्लम घर में है
स्टूडेंट रविशंकर ने कहा, हम किस राह में जा रहे हैं हमें खुद नहीं पता। जब कोई केस होता है तो आरोपी के घर वाले उसे बचाने में लग जाते हैं, जो कि गलत है। हमें एेसे लोगों को प्रोटेक्ट नहीं करना चाहिए। जब तक गलत लोगों को घर वाले शह देंगे सुधार नहीं होगा। राजवर्धन ने भी अपनी रचना में वर्तमान में हो रही घटनाओं पर कटाक्ष किया।
किया कैंडल मार्च
दुर्गा कॉलेज के स्टूडेंट्स ने मरीन ड्राइव पर कैंडल मार्च किया। साथ ही हस्ताक्षर अभियान चलाया। पोस्टकार्ड में आसिफा के गुनाहगारों को फांसी की मांग लिखकर राष्ट्रपति के नाम पोस्ट किया। इस दौरान आमीर अली, निखिल बघेल, इकराम खान, सरफराज खान, अरबाज अली, शांतनु झा, ज्योति साहू, दुर्गा साहू समेत अन्य स्टूडेंट मौजूद रहे।