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रायपुर

पीएम स्वनिधि योजना : राज्य के 45 फीसदी स्ट्रीट वेंडरों को 48 महीने में नहीं मिला कर्ज

Raipur News : कोरोना काल के बाद स्ट्रीट वेंडरों के लिए शुरू की गई पीएम स्वनिधि योजना का छत्तीसगढ़ को पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।

रायपुरAug 11, 2023 / 10:49 am

Kanakdurga jha

पीएम स्वनिधि योजना : राज्य के 45 फीसदी स्ट्रीट वेंडरों को 48 महीने में नहीं मिला कर्ज

पीएम स्वनिधि योजना : राज्य के 45 फीसदी स्ट्रीट वेंडरों को 48 महीने में नहीं मिला कर्ज

Raipur News : कोरोना काल के बाद स्ट्रीट वेंडरों के लिए शुरू की गई पीएम स्वनिधि योजना का छत्तीसगढ़ को पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। योजना का लाभ लेने के लिए लोग इच्छुक हैं, लेकिन 45 फीसदी लोगों को योजना के तहत कर्ज ही नहीं मिल पा रहा है। जबकि इसके लिए भाजपा ने पहले बड़ा अभियान भी चलाया था। दरअसल, इस योजना के तहत स्ट्रीट वेंडरों को व्यापार बढ़ाने के लिए 10 हजार रु. तक का कर्ज दिया जाता है।
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केंद्र सरकार के आंकड़ों की माने तो वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2023-24 के बीच इस योजना के तहत 1 लाख 20 हजार 440 हितग्राहियों ने कर्ज के लिए आवेदन किया है। इनमें से केवल 66 हजार 338 लोगों को ही कर्ज मिला है। यानी छत्तीसगढ़ के करीब 55 फीसदी लोगों को ही योजना का लाभ मिल सका है। इन्हें चार साल में 78.72 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है।
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आंकड़ों में स्वनिधि योजना

वित्तीय वर्ष कर्ज के लिए आवेदन स्वीकृत राशि (करोड़ों में)

2020-21 68,361 41,017 39.9

2021-22 16,666 10,074 12.0

2022-23 32,820 11,780 20.02

2023-24 2,593 3,467 6.8
व्यवहार ठीक नहीं

इनको मिलता है लाभ

केंद्र सरकार ने 1 जून 2020 को यह योजना शुरू की गई। इस योजना के तहत सब्जियां, फल, रेडी-टू-ईट, स्ट्रीट फूड, चाय, पकौड़े, ब्रेड, अंडे, कपड़ा, वस्त्र, कारीगर उत्पाद, किताबें-स्टेशनरी आदि शामिल हैं। वहीं सेवाओं में नाई की दुकानें, मोची, पान की दुकानें, कपड़े धोने की सेवाएं आदि शामिल है।
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योजना की खासियत

योजना के तहत लोन लेने के लिए केवल आधार कार्ड या अन्य कोई पहचान पत्र देना होता है। फल, सब्जियां आदि बेचने का कार्य आदि पर स्वनिधि योजना के तहत वेबसाइट पर जाकर आवदेन कर सकते हैं।
इस योजना का लाभ आम लोगों तक पहुंचाने के लिए कई शहरों में शिविर लगाए गए थे। इससे बहुत से स्ट्रीट वेंडरों को जोड़ा गया था। इस योजना का लाभ नहीं मिलने की बड़ी वजह बैंकों का व्यवहार है। बैंक जल्दी से लोन देने में रुचि नहीं दिखते हैं। जबकि इसके लिए हमने बैंकों से समन्वय बनाने के लिए समिति भी गठित की थी। इसके बाद भी बैंकों का व्यवहार बहुत ज्यादा अच्छा नहीं रहा।
– सच्चिदानंद उपासने, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, प्रधानमंत्री जनकल्याण योजना जागरुकता अभियान

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