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त्योहार व चुनाव के कारण लगातार छुट्टी रही। इस कारण अस्पतालों में ओपीडी बंद रही। केवल इमरजेंसी सेवा चालू रही। ओपीडी चालू होने से मरीजों को राहत भी मिली। मंगलवार को आंबेडकर अस्पताल के मेडिसिन, चेस्ट व पीडियाट्रिक विभाग में 600 से ज्यादा मरीजों का इलाज किया गया। डॉक्टरों के अनुसार राजधानी में धूल बढ़ने के कारण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस व गले में खराश वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है। हालांकि अभी ठंड ज्यादा नहीं बढ़ी है, लेकिन ठंड का सीजन शुरू होने के कारण अस्थमा वाले मरीजों की परेशानी बढ़ गई है।
वायरल फीवर व खांसी के ऐसे भी मरीज आ रहे हैं, जिनकी खांसी 14 से 15 दिनों तक भी ठीक नहीं हो रही है। ऐसे मरीजों को दवा बदल-बदलकर दी जा रही है। उन्हें दवा का पूरा डोज भी पूरा करने को कहा जा रहा है, जिससे बीमारी ठीक हो। कुछ मरीजों ने मोहल्ले के मेडिकल स्टोर से दवा खरीदकर खाने व बीमारी ठीक नहीं होने की जानकारी डॉक्टरों को दी। ऑब्स एंड गायनी, ऑर्थोपीडिक में इमरजेंसी वाले मरीज भी आ रहे हैं। वहीं जनरल सर्जरी, ईएनटी, नेत्र विभाग में रूटीन बीमारी वाले मरीजों का इलाज किया गया। दरअसल सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीजों का इलाज इमरजेंसी में किया जाता है। खासकर ऐसे मरीजों की हड्डियों में फ्रैक्चर व सिर में चोट लगती है। ऐसे मरीजों का इलाज हड्डी के अलावा न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉक्टर करते हैं।
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एम्स में भी लंबी कतार
एम्स में दो शिफ्ट में ओपीडी चलने के बाद भी मरीजों की लंबी कतार लग रही है। डॉक्टरों के अनुसार इसमें नए के अलावा फालोअप वाले मरीज हैं। यहां भी मेडिसिन के अलावा चेस्ट, पीडियाट्रिक में सीजनल बीमारी वाले ज्यादा मरीज आ रहे हैं। टाटीबंध ओवरब्रिज के आसपास धूल काफी है। इस कारण इस एरिया के धूल से प्रभावित मरीज एम्स में इलाज कराने जाते हैं। त्योहारी सीजन में एम्स में भी छुट्टी थी। इस कारण यहां भी विभिन्न विभागों में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है।
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आंबेडकर के ओपीडी काउंटर में भीड़, बार-बार पर्ची ले रहे आंबेडकर के ओपीडी पर्ची काउंटर में लोगों की काफी भीड़ रही। दरअसल नवंबर का समय चल रहा है और इतनी भीड़ नहीं होनी चाहिए। कई पुराने मरीज भी पुरानी पर्ची से इलाज कराने के बजाय नई पर्ची के लिए कतार लगाते हैं। जबकि ओपीडी पर्ची सालभर चलती है। उदाहरण के लिए अगर किसी मरीज ने 1 जनवरी को पर्ची कटवाई है तो यह 31 दिसंबर तक मान्य रहेगी। लेकिन कई मरीजों को इसकी जानकारी नहीं होती इसलिए जब भी वे अस्पताल में इलाज कराने जाते हैं, नई पर्ची कटवाते हैं। इससे लोगों की भीड़ बढ़ जाती है। स्टाफ भी साफ्टवेयर बदलने के कारण पुरानी पर्ची नहीं चलने का हवाला देते हैं। ऐसे में भी लोगों को ओपीडी से दोबारा पर्ची कटवाने के लिए आना पड़ता है। यह भी पढ़ें
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यहां कटती है ओपीडी पर्ची
– जनरल सर्जरी, पीडियाट्रिक, ऑर्थोपीडिक, ईएनटी, नेत्र, स्किन व ऑब्स एंड गायनी के लिए मेन काउंटर में।
– कार्डियोलॉजी व कार्डियक सर्जरी के मरीजों के लिए एसीआई में
– कैंसर व कैंसर सर्जरी के मरीजों के लिए कैंसर बिल्डिंग में
– 60 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए जिरियाट्रिक बिल्डिंग में