CG News: अस्पताल में उपचार के दौरान लापरवाही बरतने के कारण 14 साल पहले मरीज की मौत हुई थी। मृतक के 4 वर्षीय अबोध पुत्र मृदुल सोनी, पत्नी हिना सोनी और
बुजुर्ग पिता अरविंद सोनी ने जिला फोरम परिवाद दायर किया था। फोरम अध्यक्ष ने पीड़ितों के द्वारा पेश किए गए दस्तावेजी साक्ष्य, पीएम रिपोर्ट और दोनों पक्षों द्वारा पेश किए गए तर्क के आधार पर फैसला सुनाया। साथ ही, अस्पताल प्रबंधन द्वारा उपचार में लापरवाही बरतने को सेवा में निम्नता माना।
CG News: यह है मामला
गुढ़ियारी निवासी हिमांशु सोनी का 2008 एक्सीडेंट होने के कारण उसके दोनों पैर सुन्न हो गए थे। इसकी वजह से इसके उसे चलने फिरने में परेशानी हो रही थी। परिजनों ने उसे उपचार के लिए 18 दिसंबर 2010 को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। मेडिकल रिपोर्ट नार्मल होने के बाद हिमांशु का ऑपरेशन कर 24 दिसंबर को
अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
उपचार में लापरवाही
अस्पताल से छुट्टी होने के दूसरे दिन हिमांशु के यूरिन प्लेस में असहनीय पीड़ा होने लगी। इसके बाद उन लोगों ने टेलीफोन के माध्यम से अस्पताल प्रबंधन से बात की। 26 दिसंबर को परेशानी होने पर उसे दोबारा अस्पताल लाया गया। इस दौरान उसकी मौत हो गई अमृता के परिजनों ने
आरोप लगाया की परेशानी होने के बाद उसे आईसीयू में इंजेक्शन लगाया गया था, जिसके कारण मौत हुई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में किडनी फेल होने के कारण हार्ट अटैक से मौत का कारण बताया गया है।
परिजनों ने किया अस्पताल में हंगामा और तोड़फोड़
अमृता के परिजनों का कहना है कि ऑपरेशन के पहले हिमांशु को किसी भी तरह की परेशानी नहीं थी। वहीं अस्पताल प्रबंधन ने अपना जवाब पेश करते हुए बताया कि हिमांशु की दुर्घटना के कारण सिर में चोट आई थी। इसकी वजह से उसके दोनों पैरों में सूजन था। अस्पताल से डिस्चार्ज करने के बाद परेशानी होने पर मरीज को तुरंत लाने के लिए कहा गया था, लेकिन जब उसे लाया गया उसकी मौत हो चुकी थी। इसे लेकर परिजनों ने अस्पताल में हंगामा और तोड़फोड़ किया। जिला फोरम अध्यक्ष ने दोनों पक्षों का तर्क सुनने के बाद मृतक के परिजनों को 15 लख रुपए 26 नवंबर 2012 से अदायगी दिनांक तक 6 फ़ीसदी ब्याज दर के साथ रकम का भुगतान करने, मानसिक कष्ट के लिए 10 लाख और वाद व्यय का 10 हजार रुपए देने का आदेश दिया।