रायपुर

अनूठी आस्था! यहां डायन की होती है पूजा, 200 साल पुराने परेतिन मंदिर में बिना चढ़ावा कोई भी नहीं बढ़ सकता आगे

NAVRATRI 2022 : शारदीय नवरात्र का आज पंचम दिवस है। सभी मंदिरों में ज्योति कलश प्रज्वलित है हो चुके है और सभी ओर बड़ी धूमधाम से नवरात्रि मनाई जा रही है। लेकिन क्या आपको मालूम है की बालोद जिले में 200 साल पुराण परेतिन दाई का मंदिर है।

रायपुरSep 30, 2022 / 01:28 pm

Mansee Sahu

बालोद। जिले के एक गांव में किसी देवी-देवताओं की नहीं बल्कि परेतिन दाई का मंदिर है। यह मंदिर कोई 10-20 साल नहीं बल्कि 200 साल पुराना है। ग्रामीणों की मानें तो पहले यह मंदिर नीम वृक्ष के नीचे सिर्फ चबूतरानुमा था। मान्यता और प्रसिद्धि बढ़ने के साथ यहां पर जन सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया गया है। मंदिर का निर्माण भी देवी को अर्पित ईंटों से किया गया है। नवरात्रि में यहां नौ दिन तक देवी के नौ रूप के साथ परेतिन दाई की पूजा हो रही है। दूर-दूर से भक्त अपनी मन्नतों के साथ यहां पहुंच रहे हैं।

गुंडरदेही ब्लॉक के ग्राम झींका में है परेतिन मंदिर
गुंडरदेही विकासखंड के ग्राम झींका में सड़क किनारे स्थित है परेतीन दाई का मंदिर। देवी के प्रति आस्था या डर ऐसा कि बिना दान किए कोई भी मालवाहक वाहन आगे नहीं बढ़ सकता। मंदिर के सामने से होकर गुजरना है तो कुछ भी दान (अर्पण/चढ़ाना) करना अनिवार्य है। मालवाहक वाहन से जा रहे हैं तो वाहन में जो भी सामान भरा है उसमें से कुछ-न-कुछ चढ़ाना अनिवार्य है। चाहे ईंट, पत्थर, पैरा, हरी घास, मिट्टी, सब्जी, भाजी आदि क्यों न हो। ग्रामीणों की मानें तो नहीं चढ़ाने पर अनिष्ट या वाहनों में खराबी आ जाती है। ऐसा कई बार हो चुका है।

 

फट जाता है दूध
गांव के यदुवंशी (यादव और ठेठवार) मंदिर में बिना दूध चढ़ाए निकल जाते हैं तो दूध फट जाता है। ऐसा कई बार हो चुका है। ग्रामीण माखन लाल ने बताया कि यह मंदिर पुराना और मंदिर की बड़ी मान्यता है। गांव में भी बहुत से ठेठवार हैं, जो रोजाना दूध बेचने आस-पास के गांवों और शहर जाते हैं। इस मंदिर में दूध चढ़ाना ही पड़ता है। जान बूझकर दूध नहीं चढ़ाया गया तो दूध फट जाता है।

दोनों नवरात्रि में ज्योति कलश प्रज्ज्वलित
परेतिन दाई किसी का बुरा नहीं करती है। वे राहगीरों सहित सच्चे मन से प्रार्थना करने वालों की मनोकामनाएं पूरी करती है। यही कारण है कि दोनों नवरात्रि पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में ज्योति कलश प्रज्ज्वलित करवाते हैं। ग्रामीण राजू सिन्हा ने बताया कि परेतिन दाई हमेशा सबका भला करती हैं, जो भी व्यक्ति इस मंदिर में आकर सच्चे मन से प्रार्थना करे तो उनकी मांगें पूरी हुई है।

ईंट का इस्तेमाल गांव के विकास कामों में
मंदिर में ईंट इतनी अधिक संख्या में चढ़ती है कि मंदिर निर्माण के अलावा गांव के अन्य विकास कामों में किया जाता है। यहां पर सबसे ज्यादा चढऩे वाली चीजों में ईंट ही अधिक है।

जान कर अंजान बनने में दिक्कत
यह भी बताया जाता है कि कोई भी मंदिर के बारे में जान कर अंजान बन जाता है तो उसे आगे की सफर में परेशानी होती है। यदि अंजान व्यक्ति है तो उसे देवी क्षमा कर देती है।

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