अजय कुमार मंडावी
अजय कुमार मंडावी को कलाकृतियों का बेजोड़ नमूना तैयार करने के लिए पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा। लकड़ी पर कला का शानदार नमूना उकेरने वाले मंडावी कांकेर के रहने वाले हैं।
उषा बारले
दुर्ग की उषा बारले कोे पंडवानी गायन के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इन्होंने पंडवानी का प्रशिक्षण प्रख्यात पंडवानी गायिका एवं पद्मविभूषण तीजन बाई से प्राप्त किया है। बारले ने लंदन एवं न्यूयार्क जैसे शहरों में पंडवानी की प्रस्तुति दी है।
पिता नहीं चाहते थे कि मैं कला क्षेत्र में आऊं- ऊषा बारले
पंथी गायिका ऊषा बारले 5 साल की उम्र से गा रही हैं। वे बताती हैं, गाने की शिक्षा घर से ही मिली। पिता स्व. खामसिंह जांगड़े कलाकार थे और वे नहीं चाहते थे कि बेटी कला के क्षेत्र में आए। लेकिन फूफा ने उन्हें चिकारा बजाने की ट्रेनिंग दी। फूफा टीपा को मांदर की तरह बजाते थे और मैं गाना गाती थी। देखकर बस्ती के बच्चे प्रभावित हुए और पंथी नृत्य के गुर सिखे। इस बीच मेरी शादी हो गई थी। तब पति ने भी मेरे साथ गीत गाना सीखा और 24 लोगों की टीम के साथ गांव-गांव में प्रस्तुतियां देनी शुरू की, जिसे लोगों ने काफी पंसद किया।
डोमार सिंह कंवर
डोमार सिंह कंवर को नाचा कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान दिया जाएगा। डोमार सिंह कंवर ने बाल विवाह की कुप्रथा को रोकवाने में मदद की है। डोमार सिंह ने देश के अलग-अलग हिस्सों में 5000 से ज्यादा प्रस्तुति दी है।
सीएम की बधाई
सीएम भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के 3 लोगों को पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित होने पर बधाई दी है। उन्होंने कहा, इससे छत्तीसगढ़ के कला जगत सहित पूरा प्रदेश गौरवान्वित हुआ है।