Paddy Purchase date : इसके लिए खाद्य विभाग के सचिव टोपेश्वर वर्मा ने केंद्र सरकार के खाद्य सचिव को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने बायोमेट्रिक आधारित खरीफ प्रणाली को लागू करने के कारण किसानों को होने वाली कठिनाइयों का जिक्र किया है। बता दें कि इस बार राज्य सरकार ने किसानों से 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है। इसके अनुसार ही धान खरीदी की तैयारी की जा रही है।
5 लाख किसानों का ही पंजीयन Paddy Purchase date : अभी तक प्रदेश के लगभग 5 लाख किसानों के पंजीयन का कार्य पूरा हुआ है। यानी 1 नवम्बर को धान खरीदी के पहले करीब 20 लाख किसानों का बायोमेट्रिक पंजीयन करना होगा। हालांकि धान खरीदी के लिए केन्द्र सरकार द्वारा बायोमेट्रिक सिस्टम की अनिवार्यता का अन्य कोई विकल्प न होने के कारण सभी कलेक्टरों को विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं।
वर्तमान में यह है व्यवस्था राज्य में विगत वर्ष तक धान खरीदी के पूर्व किसानों का पंजीयन कराया जाता रहा है। पंजीयन में किसान का आधार कार्ड नंबर भी लिया जाता है। किसानों की भूमि के रकबे का सत्यापन भी भुईयां सॉफ्टवेयर से किया जाता था। किसानों को भुगतान भी सीधे उनके बैंक खातों में ऑनलाइन के जरिए किया जाता है। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की व्यवस्था पूरी तरह से पारदर्शी और देश में सर्वश्रेष्ठ है।
यह है राज्य सरकार का तर्क
केंद्र सरकार ने धान बेचने वाले किसानों से बायोमेट्रिक्स भी लेने के निर्देश दिए हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में सुदूर एवं दुर्गम अंचलों में बड़ी आबादी निवास करती है। राज्य के बस्तर एवं सरगुजा क्षेत्र के दूरस्थ एवं पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण इस इलाके के कई स्थानों पर इंटरनेट कनेक्टिविटी की सुविधा की कमी के चलते बायोमेट्रिक आधारित खाद्यान्न उपार्जन प्रणाली को लागू करने में दिक्कत होगी। बता दें कि राज्य सरकार की ओर से भारत सरकार से बायोमेट्रिक्स व्यवस्था अनिवार्य न करने का अनुरोध भी किया गया है, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया था। अब फिर दोबारा पत्र लिखा गया है।