यह भी पढ़े: CG Weather Update: प्रदेश में बदलेगा मौसम का तेवर, तेज हवाओं के साथ होगी बारिश….बढ़ेगी ठिठुरन कार्डियक एनेस्थेटिस्ट 17 जनवरी को इस्तीफे देकर जा चुकी हैंं। इसके बाद एसीआई में वॉल्व रिप्लेसमेंट व बच्चों के हार्ट के छेद बंद करने संबंधी केस का इलाज पूरी तरह ठप है। जो सात मरीज भर्ती है, उनमें वॉल्व रिप्लेसमेंट से लेकर जन्मजात हार्ट में छेद वाले मरीज शामिल हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इलाज के लिए मरीजों को वापस भेजना मजबूरी है। वे भर्ती कर भी लें तो उनका ऑपरेशन नहीं कर सकते, क्योंकि सहयोगी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होने से ये संभव नहीं है। जो मरीज भर्ती है, वे डॉक्टर के इस्तीफे देने से पहले से आए हैं। कुछ क्रिटिकल केस को देखते हुए निजी अस्पतालों में सेवाएं दे रहे कार्डियक एनेस्थेटिस्ट से संपर्क भी किया गया, लेकिन वे सभी व्यस्त रहे। निजी अस्पतालों में भी सुबह सर्जरी होती है, इसलिए डॉक्टरों ने एसीआई आने से हाथ खड़े कर दिए। जबकि प्रति केस 10 हजार रुपए देने का नियम बनाया गया है। यही स्थिति परफ्यूजिनिस्ट व फिजिशियन असिस्टेंट को लेकर है। वे भी समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।
2017 में एस्कार्ट हार्ट सेंटर बंद होने के बाद खुला एसीआई 2017 में एस्कार्ट हार्ट सेंटर को बंद किया गया था। इसके बाद से एसीआई का संचालन हो रहा है। 6 साल बाद भी बायपास सर्जरी शुरू नहीं हो पाना सरकार की मंशा पर बड़ा सवाल है। दरअसल एसीआई में आयुष्मान के पैकेज में फ्री में सर्जरी हो जाती। अब मरीज केवल निजी अस्पतालों के भरोसे है। यहां डेढ़ से दो लाख खर्च करना पड़ रहा है। कुछ अस्पताल पैकेज के बाद भी अतिरिक्त पैसे ले रहे हैं।
वर्जन
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सुपर स्पेशलिटी डॉक्टरों का नया वेतन तय किया जा रहा है। इस संबंध में फाइल शासन के पास पहले ही भेजी गई है। एसीआई में कार्डियक एनेस्थेटिस्ट की नियुक्ति करने का प्रयास किया जा रहा है। – डॉ. विष्णु दत्त, डीएमई
ओपन हार्ट सर्जरी के आने वाले मरीजों को वापस लौटाने के सिवाय हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। हम मरीजों की जान का रिस्क नहीं ले सकते। भर्ती मरीजों की सर्जरी का प्रयास कर रहे हैं। – डॉ. कृष्णकांत साहू, एचओडी सीटीवीएस एसीआई