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सामान्य दिनों में साल-दो साल में इसके दो-चार मरीज सामने आते थे, लेकिन विगत एक सप्ताह से इनकी संख्या काफी बढ़ गई है। एंटी फंगस की दवाएं और इंजेक्शन काफी महंगी होती है। एक इंजेक्शन करीब 3 से 5 हजार के बीच में आती है, जिसे रोजाना कम से कम 6 से 8 हफ्ते देना पड़ता है। तीन से चार माह दवा चलती है। एक माह की दवा पर 25 से 30 हजार रुपए खर्च करना पड़ता है।म्यूकोरमाइकोसिस होने की वजह
विशेषज्ञों की मानें तो डायबिटीज पीड़ितों को स्टेरॉयड नही दिया जाता है लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण इन्हें बड़ी मात्रा में दी जा रही है। स्टेरॉयड के ज्यादा इस्तेमाल से मरीज की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है और यह फंगस शरीर के अंगों पर हमला कर देता है। कोविड को मात दे चुके लोगों की यदि बार-बार नाक बंद होती हो या नाक से पानी निकलता है, गालों पर काले या लाल चकते दिखने लगें, चेहरे के एक तरफ सूजन हो या सुन्न पड़ जाए, दांतों और जबड़े में दर्द, आंखों से कम दिखाई दे या सांस लेने में तकलीफ हो तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेकर इलाज शुरू करना चाहिए।
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यह है प्रमुख लक्षण
– नाक बंद, दर्द या सूजन।
– दांत या जबड़े में दर्द या गिरना।
– आंखों का भारी प्रतीत होना तथा लाल होना, सामने धुंधलापन।
– आंखों के नीचे सुन्न महसूस होना।
– नाक में काले रंग का डिस्चार्ज हो।
ऐसे कर सकते हैं बचाव
आंबेडकर अस्पताल के ईएनटी विभाग के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. संतोष पटेल के मुताबिक, लोगों को चाहिए कि एहतियात बरतते हुए पहले कोरोना संक्रमण से बचे रहें। यदि वह किसी प्रकार संक्रमित हो भी जाते हैं और उनका इलाज अस्पताल में वेंटिलेटर पर ज्यादा दिनों तक हुआ है तो वह ठीक होने के बाद लगातार फॉलोअप कराते रहें। सामान्य कोरोना के मरीजों को भी चाहिए कि वह निरंतर डॉक्टरों से सलाह लेते रहें। यदि सांस लेने में थोड़ी भी समस्या या आंख में भारीपन महसूस होता है तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
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एम्स कोविड-19 के नोडल अधिकारी डॉ. अजॉय बेहरा ने कहा, डायबिटीज वाले कोरोना मरीज जिन्हें इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिया गया है, उनमें म्यूकोरमाइकोसिस बीमारी देखने को मिल रही है। इसमें तुरंत इलाज जरूरी होता है। विलंब होने पर आंख की रोशनी व जान जाने का भी खतरा रहता है।