रायपुर

आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों का कमाल.. सुई की मदद से बिना चीरफाड़ के इलाज, दो मासूमों को दिलाई दर्द से निजात

Ambedkar Hospital : जन्म से ही दर्द झेल रहे और गंभीर बीमारी से पीडि़त दो बच्चों का आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों ने आधे घंटे में इलाज कर ठीक कर दिया।

रायपुरOct 12, 2023 / 07:27 am

Kanakdurga jha

आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों का कमाल.. सुई की मदद से बिना चीरफाड़ के इलाज, दो मासूमों को दिलाई दर्द से निजात

रायपुर। Ambedkar Hospital : जन्म से ही दर्द झेल रहे और गंभीर बीमारी से पीडि़त दो बच्चों का आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों ने आधे घंटे में इलाज कर ठीक कर दिया। किसी सरकारी अस्पताल में पहली बार बिना ऑपरेशन के सिर्फ एक सुई के जरिए चार साल की बच्ची का इलाज किया गया। इलाज के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन मशीन के जरिए न्यूनतम इनवेंसिव प्रक्रिया अपनाई जाती है। जर्मनी से मंगाई गई मशीन के जरिए इस बीमारी का इलाज किया गया है।
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बलौदाबाजार की बच्ची दायें पैर के असहनीय दर्द से परेशान बच्ची के दायें पैर में ओस्टियोइड ओस्टियोमा नामक हड्डी से संबंधित बीमारी की पुष्टि हुई। रेडियोलॉजी विभाग के इंटवेशनल रेडियोलॉजिस्ट डॉ. (प्रो.) विवेक पात्रे की टीम ने बिना चीर फाड़ के सुई की सहायता से सीटी गाइडेड रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन प्रक्रिया के जरिये चार वर्षीय मासूम के पैर दर्द की समस्या से हमेशा के लिए निज़ात दिलाई। ठीक ऐसे ही मध्यप्रदेश के नैनपुर से आए आठ वर्षीय बालक के बायें पैर के जांघ में स्थित ओस्टियोइड ओस्टियोमा का उपचार इसी विधि से किया। डॉ. विवेक पात्रे के अनुसार दोनों मासूम मरीज अब ठीक हैं और अपनी पढ़ाई-लिखाई कर रहे हैं।
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क्या है ओस्टियोइड ओस्टियोमा

डॉक्टर विवेक ने बताया कि ओस्टियोइड ओस्टियोमा का केंद्र नाइडस या निडस है जिसमें बढ़ती ट्यूमर कोशिकाएं, रक्त वाहिकाएं और कोशिकाएं शामिल होती हैं। नाइडस के चारों ओर एक हड्डी का आवरण या खोल (शेल) होता है। ये छोटे ट्यूमर होते हैं जो आमतौर पर मानव शरीर की लम्बी हड्डियों जैसे जांघ की हड्डी (फीमर), टिबिया (पिंडली) में विकसित होते हैं। यह नॉन-कैंसरस यानी बिना कैंसर वाले हड्डी का ट्यूमर है और पूरे शरीर में नहीं फैलता लेकिन ये काफ़ी दर्दनाक होते हैं।
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ऐसे किया गया इलाज

ट्यूमर के केंद्र भाग नाइडस में प्रोस्टाग्लाइडिन नामक केमिकल रिलीज होता है। जिससे असहनीय दर्द होता है। इसको हम सीटी स्कैन की सहायता से हड्डी के बीच में (ट्यूमर के बीच में) सुई डालते हैं। यह नीडिल में सुई के अंदर सुई रहती है। उपचार के दौरान नीडिल के अंदर वाली सुई को निकालकर रेडियो फीक्वेंसी एब्लेशन मशीन का नीडिल (प्रोब) डाल देते हैं। मशीन की सहायता से उच्च ऊर्जा युक्त तरंगों की मदद से ट्यूमर को अंदर ही अंदर नष्ट कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में अधिकतम आधे से एक घंटे समय लगता है। इसमें मरीज को दर्द भी नहीं होता और दूसरे दिन ही डिस्चार्ज कर दिया जाता है।
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छूट गया था स्कूल

मासूम बच्ची के पिता के अनुसार, बीमारी के कारण बच्ची का स्कूल जाना छूट गया। सही इलाज के अभाव में इधर-उधर भटकते रहे। बीमारी के कारण बच्ची का स्कूल जाना खेलना कूदना बंद हो गया था। डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची अब बिल्कुल ठीक है। इसी तरह 8 वर्षीय मासूम बायें पैर से लंगड़ाकर चलने लगा था। उसके इस असहनीय दर्द से घरवाले भी काफी परेशान रहते थे। इलाज के लिए भटकते-भटकते मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ पहुंचे और आंबेडकर अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग में उनके बच्चे के दर्द का उपचार मिल गया।
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टीम में ये रहे शामिल

इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक पात्रे के साथ रेसीडेंट डॉ. अतुल कुमार, डॉ. शौर्य चौधरी, डॉ. लीना साहू, डॉ. मंजू कोचर, एनेस्थेटेस्टि डॉ. ए. शशांक, डॉ. नंदिनी जटवार, रेडियोग्राफर अब्दुल ख़ालिक, रूप सिंह, नर्सिंग केयर के लिए आकाश और यश।

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