यह भी पढ़ें : Janjgir Champa : पेपर मिल में सुरक्षा गार्ड को बंधक बनाकर डकैती, खरीददार समेत 7 आरोपी गिरफ्तार बलौदाबाजार की बच्ची दायें पैर के असहनीय दर्द से परेशान बच्ची के दायें पैर में ओस्टियोइड ओस्टियोमा नामक हड्डी से संबंधित बीमारी की पुष्टि हुई। रेडियोलॉजी विभाग के इंटवेशनल रेडियोलॉजिस्ट डॉ. (प्रो.) विवेक पात्रे की टीम ने बिना चीर फाड़ के सुई की सहायता से सीटी गाइडेड रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन प्रक्रिया के जरिये चार वर्षीय मासूम के पैर दर्द की समस्या से हमेशा के लिए निज़ात दिलाई। ठीक ऐसे ही मध्यप्रदेश के नैनपुर से आए आठ वर्षीय बालक के बायें पैर के जांघ में स्थित ओस्टियोइड ओस्टियोमा का उपचार इसी विधि से किया। डॉ. विवेक पात्रे के अनुसार दोनों मासूम मरीज अब ठीक हैं और अपनी पढ़ाई-लिखाई कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें : रेल यात्री ध्यान दें… नवरात्रि व दशहरा को लेकर अधिकांश ट्रेनों में नो-रूम, देखें लिस्ट क्या है ओस्टियोइड ओस्टियोमा डॉक्टर विवेक ने बताया कि ओस्टियोइड ओस्टियोमा का केंद्र नाइडस या निडस है जिसमें बढ़ती ट्यूमर कोशिकाएं, रक्त वाहिकाएं और कोशिकाएं शामिल होती हैं। नाइडस के चारों ओर एक हड्डी का आवरण या खोल (शेल) होता है। ये छोटे ट्यूमर होते हैं जो आमतौर पर मानव शरीर की लम्बी हड्डियों जैसे जांघ की हड्डी (फीमर), टिबिया (पिंडली) में विकसित होते हैं। यह नॉन-कैंसरस यानी बिना कैंसर वाले हड्डी का ट्यूमर है और पूरे शरीर में नहीं फैलता लेकिन ये काफ़ी दर्दनाक होते हैं।
यह भी पढ़ें : मृत व्यक्ति के नाम 1 लाख 35 हजार केसीसी लोन निकालने का मामला, कार्रवाई की हुई अनुशंसा ऐसे किया गया इलाज ट्यूमर के केंद्र भाग नाइडस में प्रोस्टाग्लाइडिन नामक केमिकल रिलीज होता है। जिससे असहनीय दर्द होता है। इसको हम सीटी स्कैन की सहायता से हड्डी के बीच में (ट्यूमर के बीच में) सुई डालते हैं। यह नीडिल में सुई के अंदर सुई रहती है। उपचार के दौरान नीडिल के अंदर वाली सुई को निकालकर रेडियो फीक्वेंसी एब्लेशन मशीन का नीडिल (प्रोब) डाल देते हैं। मशीन की सहायता से उच्च ऊर्जा युक्त तरंगों की मदद से ट्यूमर को अंदर ही अंदर नष्ट कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में अधिकतम आधे से एक घंटे समय लगता है। इसमें मरीज को दर्द भी नहीं होता और दूसरे दिन ही डिस्चार्ज कर दिया जाता है।
यह भी पढ़ें : उत्तरपुस्तिका मूल्यांकन में लापरवाही, पहले फेल, दोबारा जांच में बढ़ गए 30% तक अंक छूट गया था स्कूल मासूम बच्ची के पिता के अनुसार, बीमारी के कारण बच्ची का स्कूल जाना छूट गया। सही इलाज के अभाव में इधर-उधर भटकते रहे। बीमारी के कारण बच्ची का स्कूल जाना खेलना कूदना बंद हो गया था। डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची अब बिल्कुल ठीक है। इसी तरह 8 वर्षीय मासूम बायें पैर से लंगड़ाकर चलने लगा था। उसके इस असहनीय दर्द से घरवाले भी काफी परेशान रहते थे। इलाज के लिए भटकते-भटकते मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ पहुंचे और आंबेडकर अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग में उनके बच्चे के दर्द का उपचार मिल गया।
यह भी पढ़ें : पितृपक्ष: प्रॉपर्टी बाजार में छाई मंदी, रजिस्ट्री दफ्तरों में पसरा सन्नाटा टीम में ये रहे शामिल इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक पात्रे के साथ रेसीडेंट डॉ. अतुल कुमार, डॉ. शौर्य चौधरी, डॉ. लीना साहू, डॉ. मंजू कोचर, एनेस्थेटेस्टि डॉ. ए. शशांक, डॉ. नंदिनी जटवार, रेडियोग्राफर अब्दुल ख़ालिक, रूप सिंह, नर्सिंग केयर के लिए आकाश और यश।