यही वजह है कि अब स्वास्थ्य विभाग ने सघन सामुदायिक सर्वे (कम्युनिटी सर्वे) का विकल्प चुना है। सरकारी अमला हर घर दस्तक देगा। पूछा जाएगा कि किसी को सर्दी, जुकाम, खांसी या अन्य कोई लक्षण तो नहीं। अगर होंगे तो तत्काल उनकी जांच करवाई जाएगी। पॉजिटिव आने पर होम आइसोलेट, कोविड केयर सेंटर या फिर गंभीर होने पर कोविड-19 हॉस्पिटल में भर्ती करवाया जाएगा।
निजी अस्पतालों से संक्रमित के इलाज बिल मांगने पर खुली पोल, आठ दिन में बना रहे 3 लाख बिल
गांधी जयंती, 2 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक कोरोना सघन सामुदायिक सर्वे अभियान की शुरुआत होने जा रही है। गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणु जी. पिल्ले ने सभी जिला कलेक्टरों को इससे संबंधित दिशा-निर्देश जारी किए। सर्वे का आधार क्या होगा? क्या सवाल-जवाब होंगे? इसका पूरा फॉर्मेट जिलों को राज्य कोरोना कंट्रोल एंड कमांड सेंटर से भेजा चुका है।
ग्रामीण क्षेत्रों को भी किया जाएगा शामिल
यह पहली बार है जब ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के फैलाव का पता करने के लिए जमीनी स्तर पर अधिकारी-कर्मचारी मैदान पर उतरेंगे। ‘पत्रिका’ ने सबसे पहले बताया था कि सरकार को आशंका है कि कहीं संक्रमण गांवों तक पहुंच गया है? यह उसी का पता लगाने की कवायद है। अगर संक्रमण पहुंच गया तो इलाज मुहैया करवाया जाए, नहीं पहुंचा है तो न पहुंचे इसका कारगर उपाए किए जाएं। इसकी पूरी नीति तैयार की जा रही है।
अब कम्युनिटी स्प्रेड नहीं
स्वास्थ्य विभाग ने एक बार फिर इस सवाल को सिरे से नकार दिया है कि वायरस का कम्युनिटी स्प्रेड हुआ है। अब तो यह कहा जा रहा है कि मरीजों की संख्या में गिरावट आई है। कोरोना के पीक पर पहुंचने को लेकर कहा गया है कि १५ अक्टूबर के बाद ही कुछ बताया जा सकता है। मेडिकल कॉलेज रायपुर के डॉक्टरों की मानें तो लॉकडाउन का अब बहुत महत्व नहीं रह गया। इससे तो वायरस से नेचुरल ट्रांसमिशन को समझने में कठिनाई होती है।
उद्देश्य लक्षण वाले व्यक्तियों और ऐसे व्यक्तियों की पहचान करना है जो अन्य बीमारी से ग्रसित हैं। अगर, वे संदिग्ध पाए जाते हैं तो उनका टेस्ट करवाया जाएगा। अभी यही रणनीति है।
-नीरज बंसोड़, संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं