आरपीएफ जांच टीम ने भी किया खुलासा अभी हाल ही में एक सप्ताह के दौरान ऐसे चार से पांच मामले सामने आए। ई-टिकट दलाल बड़े आसानी से अलग-अलग आईडी से कंफर्म टिकट मुहैया करा देते हैं। आरपीएफ की जांच टीम ने भी खुलासा किया कि ई-टिकट दलालों के पास तत्काल, प्रीमियम और दो से तीन महीने आगे का कंफर्म टिकट पकड़ाया है। जांच में यह सामने आया कि 200 से लेकर 400 रुपए ज्यादा लेते हैं। रायपुर रेलवे स्टेशन से हर दिन 40 से 50 हजार यात्री सफर करते हैं। ऐसी कोई ट्रेन नहीं, जिनमें 10 से 15 दिन पहले टिकट कराने पर लोगों को कंफर्म टिकट मिल सके।
पढ़िए… यात्रियों के अनुभव 250 रु. देने पर उज्जैन का कंफर्म टिकट भाठागांव क्षेत्र के एक कंप्यूटर एवं फोटो कॉपी दुकान में मिले नीलेश कुमार ने बताया कि उन्हें 14 अगस्त को -बिलासपुर-भगत की कोठी ट्रेन से उज्जैन जाना था। ऑनलाइन वेटिंग 52 चल रही थी। लगा कि अब कंफर्म टिकट नहीं मिलेगा, परंतु एक सेंटर से 250 रुपए ज्यादा देने पर मिल गया।
सारनाथ में 42 वेटिंग, च्वाइस सेंटर से राहत पचपेड़ीनाका क्षेत्र के मुन्नी मिश्रा ने बताया कि 5 अगस्त को उन्हें जरूरी काम से प्रयागराज जाना है, बुधवार को दोपहर 2 बजे के आसपास सारनाथ ट्रेन में (Raipur Railway News) वेटिंग 42 चल रही थी। उन्होंने एक च्वाइस सेंटर से संपर्क किया तो स्लीपर का कंफर्म टिकट मिल गया।
13 वेटिंग के बावजूद पटना का कंफर्म टिकट छोटापारा में रहने वाले एस. कृष्णा राव ने बताया कि 10 अगस्त को दुर्ग-साउथ बिहार से उन्हें पटना जाना है। ऑनलाइन चेक करने पर पता चला कि वेटिंग स्लीपर में दोपहर के समय 13 चल रही है। उन्हें अपने क्षेत्र के ही एक सेंटर से 200 रुपए ज्यादा देने पर कंफर्म मिल गया।
दशहरा-दिवाली के लिए अभी से पैक हो रहीं ट्रेनें दशहरा-दिवाली के समय ई-टिकट जमकर फायदा उठाते हैं। क्योंकि किसी भी ट्रेन में रेलवे के सिस्टम से कंफर्म टिकट मिलना मुश्किल होता है। जबकि ई-टिकट दलाल 200, 300 से 400 रुपए अधिक लेकर आसानी से कंफर्म टिकट बेचते हैं। क्योंकि अभी से लंबी दूरी की ट्रेनें पैक होने लगी हैं। सिकंदराबाद-दरभंगा एक्सप्रेस में वेटिंग चल रही है। दोनों तरफ से इस ट्रेन में वेटिंग 30 से 50 के करीब वेटिंग है।
सिस्टम में ये हैं खामियां ई-टिकट को बढ़ावा देने के लिए रेलवे 2 से 3 हजार रुपए पंजीयन शुल्क लेकर एजेंटों को पंजीकृत करता है। ऐसे एजेंट केवल एक आईडी से ही ई-टिकट बनाने के लिए अधिकृत माने जाते हैं। परंतु सख्ती से निगरानी नहीं होने का फायदा उठाकर अलग-अलग आईडी से ई-टिकट बेचने का कारोबार बेधड़क चल रहा है। अभी हाल ही में रायपुर, भिलाई और भाटापारा में की गई आरपीएफ टीम की छापेमारी में ऐसे मामलों का खुलासा हुआ।
70% ई-टिकट से सफर रेल अफसरों के अनुसार काउंटरों से रिजर्वेशन टिकट बनने के आंकड़ों में कमी है। क्योंकि ऑनलाइन ई-टिकट पर 70 से 75 फीसदी यात्री सफर करने लगे हैं। इसके साथ ही ई-टिकट दलालों ने भी अपना दायरा बढ़ाया है। वे अलग-अलग आईडी के माध्यम से तत्काल टिकट बनाने का जाल पहले से बिछा लेते हैं। यही वजह है कि काउंटरों से मुश्किल से एक या दो कंफर्म टिकट ही बन जाते हैं और सिस्टम कोट फुल बताने लगता है।
ई-टिकट दलालों के खिलाफ लगातार अभियान रेलवे सुरक्षा बल की टीम चला रही है। तकनीकी रूप से प्रबल साइट से निगरानी का अधिकार जांच टीम के पास है। इसके माध्यम से ऑनलाइन तरीके से किस सिस्टम से कितने ई-टिकट जारी होते हैं, पकड़ सकती है।
शिव प्रसाद पंवार, सीनियर पब्लिसिटी इंस्पेक्टर रायपुर रेलवे