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इस मामले में जब सराफा कारोबारियों से बात की गई तो उनके मुताबिक बिना हॉलमार्किंग वाला सोना बाजार में बेचने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा है। सराफा कारोबारी इसे पिघला कर इससे नए गहनें बना सकेंगे, जो कि हॉलमार्किंग वाला होगा। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के अधिकारियों का कहना है कि नोटिफिकेशन में पुराने गहनें लेने को लेकर सराफा कारोबारी पर ऐसा कोई रोक नहीं है। नियम में स्पष्ट है कि 16 जून से जो भी नए गहनें बेचे जाएंगे, वह हॉलमाकिंग वाला होगा, जिसमें 14,18 और 22 कैरेट अंकित होगा।20 कैरेट को अभी मान्यता नहीं
20 कैरेट के गहनें को अभी मान्यता नहीं मिली है। सराफा कारोबारी इसके लिए प्रयासरत हैं। रायपुर सराफा एसोसिएशन के मुताबिक बाजार में अभी भी 20 कैरेट के गहनें ग्राहकों के पास और शो-रूम में हैं। हॉलमार्किंग की अनिवार्यता लागू होने के बाद कारोबारी इसे शो-रूम से हटा देंगे। रिफाइनरी में देने के बाद इससे नए गहने बनेंगे। एसोसिएशन ने उम्मीद जताई है कि 20 कैरेट को भी मान्यता मिल सकती है।
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रायपुर सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष हरख मालू ने कहा, हॉलमार्किंग की अनिवार्यता लागू होने के बाद भी बिना हॉलमार्किग वाले गहनें बाजार में बेचे जा सकेंगे। बीआईएस से जारी दिशा-निर्देशों के मद्देनजर 14,18 और 22 कैरेट के गहनें ही शो-रूम में बिक सकेंगे, लेकिन पुराना सोना लेने पर कोई रोक नहीं है। रायपुर सराफा एसोसिएशन ने 20 कैरेट के गहनों को हॉलमार्किंग की मान्यता दिए जाने की सिफारिश उपभोक्ता मंत्रालय में की है।