इसी बीच ठंड ने दस्तक दे दी है, तो प्रदूषण का स्तर बढऩा स्वाभाविक है। ऐसे में हद्यरोग, अस्थमा रोगियों के साथ-साथ कोरोना मरीजों की संख्या बढऩे का अनुमान लगाया जा रहा है। क्योंकि वायरस ठंड में ज्यादा सक्रिय होते हैं। इन खतरों के बीच से ये 4 महीने गुजारने ही होंगे।
दूसरी लहर का डर: त्यौहार बाद बिगड़ सकते हैं हालात, 80 प्रति. कोरोना मरीजों में लक्षण ही नहीं थे
हमें इनके लिए सजग रहना है-
हृदय रोगी- ठंड में सबसे ज्यादा परेशानी ५० वर्ष से अधिक के व्यक्तियों। ठंड में खून की नलियां सिकुडऩे लगती हैं। यह संकुचन सीने में दर्द को बढ़ाता है, जिसे एंजाइना पेन कहते हैं। जिससे हार्ट अटैक/या कॉर्डियक अरेस्ट के मामले २-३ गुना तक बढ़ जाते हैं।
बचाव- घर पर रहें। शरीर को गर्म कपड़ों से ढंककर रहें। गर्म चीजें ही खाएं।
अस्थमा रोगी- ठंड में फेफड़ों की क्रियाशीलता कम होने लगती है क्योंकि प्रदूषण सीधे हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। अभी से अस्पतालों और क्लीनिक में मरीज आने शुरू हो चुके हैं। अस्थमा के मरीज किसी भी आयुवर्ग के हो सकते हैं।
बचाव- मास्क का नियमित इस्तेमाल करें। ठंडे पेय पदार्थों का सेवन न करें। थकान का काम न करें।
कोरोना रोगी-
मार्च में शुरू हुई इस बीमारी ने छत्तीसगढ़ में मई, जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर में हर बढ़ते महीने के साथ अपना अधिक प्रभाव दिखाया। आज मरीजों की संख्या १.७५ लाख के पार जा पहुंची है। १,८१८ लोग जान गंवा चुके हैं। यह बीमारी हर आयुवर्ग के लिए खतरनाक साबित हो रही है।
बचाव- मास्क का नियमित इस्तेमाल। सोशल डिस्टेसिंग का पालन करें। भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में जानें से बचें। हाथ को नियमित साबून से धोएं।
(एक्सपर्ट पैनल- एसीआई में कॉडियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव, आंबेडकर अस्पताल के टीबी एंड चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. आरके पंडा के मुताबिक)
कोरोना पर कोई अनुमान नहीं-
वायरस ठंड में अन्य मौसम की तुलना में ज्यादा सक्रिय होते हैं। यह नया वायरस है, जिसके बारे में अभी कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। गर्मी में भी यह प्रभावी रहा, जबकि गर्मी में वायरस निष्क्रिय हो जाते हैं। अब ठंड में सब हमारी इम्युनिटी पर निर्भर रहेगा। अगर, रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होगी तो हम इससे लड़ पाएंगे।
(- डॉ. अरविंद नेरल, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी, पं. जेएनएम मेडिकल कॉलेज रायपुर के अनुसार)
अभी रोजाना 20-25 हजार के बीच टेस्टिंग हो रही है। आगे भी यह गति जारी रहेगी। ऑक्सीजन युक्त बेड और अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट को लेकर काम जारी है।
-डॉ. सुभाष पांडेय, प्रवक्ता एवं संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग
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