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आवेदन फार्म का जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी सत्यापन करेंगे और स्कूलों की जांच के बाद मान्यता दी जाएगी। जो संचालक विभागीय अधिकारियों के आदेश का पालन नहीं करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात विभागीय अधिकारी कह रहे है।विभागीय अधिकारियों की माने तो राजधानी में निजी स्कूलों का संचालन करने संचालक पहले आवेदन फार्म देकर 2 से लेकर 5 साल तक की मान्यता एक साथ ले लेते थे। मान्यता लेने के बाद तय अवधी तक स्कूल संचालक अपनी मनमानी करते थे और शिक्षा विभाग के अधिकारी सब कुछ जानकार भी सख्ती नहीं कर पाते थे। हर साल मान्यता लेने पर विभागीय अधिकारियों का दबाव निजी स्कूलों के संचालकों पर रहेगा, जिससे स्कूल संचालक बच्चों के साथ अपनी मनमानी नहीं कर पाएंगे।
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राजधानी में संचालित 878 निजी स्कूलविभागीय अधिकारियों के अनुसार राजधानी रायपुर में कुल स्कूलों की संख्या 2 हजार 500 है। इन स्कूलों में निजी स्कूलों का संख्या लगभग 878 है। इन स्कूलों के संचालकों को शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मानक और नियमों का पालन करने का निर्देश जारी किया है। शिक्षा विभाग के निर्देश के बावजूद भाठागांव, कुशालपुर, जनता कॉलोनी, टिकरापारा, कैलाशपुरी,कृष्णानगर, रामकुंड, कबीर नगर, वीर सारवरकर नगर, लाभाण्डी, शंकर नगर, आमासिवनी, गायत्री नगर, गुढिय़ारी ,सांकरा, फाफाडीह, और चंद्रखुरी में 30 से ज्यादा स्कूल बिना मान्यता के चल रहे है।
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नोडल अधिकारी मॉनीटरिंग में कर रहे लापरवाहीनिजी स्कूलों की मॉनीटरिंग करने में नोडल अधिकारी भी लापरवाही कर रहे है। ज्यादातर स्कूलों में भवन, प्रशिक्षित शिक्षक, पेयजल, शौचालय और खेल मैदान की सुविधा नहीं है। एक साल पहले जिन स्कूलों को बंद करने की सिफारिश की गई थी। उनमें ज्यादातर स्कूलों में आरटीई (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) के मापदंड का पालन नहीं हो रहा था। शहर के कई रहवासी इलाकों के मकानों में स्कूल चल रहे हैं। इन सभी बातों की जानकारी होने के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारी सख्त कार्रवाई नहीं कर रहे है।
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वर्जनप्राइवेट स्कूल का संचालन करने वाले संचालकों से हर साल उनके संस्थानों की अपडेट जानकारी मिले, इसलिए हर साल मान्यता लेने का निर्देश दिया है। जो संचालक नियमों का उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।
जीआर चंद्राकर, जिला शिक्षा अधिकारी, रायपुर।
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