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वैसे तो इंसान के गर्दन और कंधे में दर्द होना बहुत आम बात है, लेकिन यही साधारण दर्द अगर बार-बार दिक्कत देने लगे तो फिर ये किसी समस्या का कारण हो सकता है। रिढ़ की हड्डी कई बार आपके शरीर का भार ज्यादा झेल नहीं पाती है जिसकी वजह से सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस जैसी परेशानी उत्पन्न हो जाती है। इस समस्या में शरीर के कुछ अंग जैसे, कंधा, गर्दन, पीठ, बांह, छाती और सिर के पिछले हिस्से में दिक्कत बनी रहती है।छत्तीसगढ़ के इस शहर में खुला है ऐसा रेस्टोरेंट जहाँ कूड़ा लाने पर मिलता है भर पेट स्वादिष्ट खाना
कैसे उत्पन्न होती है ये समस्या
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या में जब इंसान अपनी क्षमता से ज्यादा काम करने लगता है तो उसके गर्दन और कंधे में दर्द होना शुरू हो जाता है। समस्या की शुरूआत में पहले तो इससे गर्दन और कंधे के ऊपर प्रभाव पड़ता है। लेकिन जैसे-जैसे इसकी समस्या बढ़ती जाती है ये रिढ़ की हड्डी को भी प्रभावित करने लगता है और फिर चक्कर आना, सिर में दर्द, कंधे, पीठ और गर्दन में दर्द बना रहता है। इसलिए इस परेशानी से बचने के लिए जरूरी है की सही समय पर डॉक्टरों से इसका इलाज कराया जाए और इस बीमारी के लक्ष्ण को तुरंत भांप लिया जाए।क्या है इसके लक्ष्ण
चक्कर आना।गर्दन और कंधे में अधिकतर समय दर्द रहना।
सिर में दर्द होना।
हाथ, बांह और उंगलियों में कमजोरी और सुन्न पड़ जाना।
गर्दन हिलाते वक्त हड्डियों में से चटकने की ध्वनि आना।
चलते वक्त हाथ और पैरो में कमजोरी होने से ज्यादा थकावट महसूस होना।
कैसे इस समस्या से बचें
इस समस्या से बचने के लिए जरूरी है कि ज्यादा काम ना करें और अगर करें तो बीच में कम से कम एक 1 घंटे का आराम जरूर लें। इससे शरारिरीक और मानसिक दोनों को आराम मिलता है।सोने के लिए मख्मल के गद्दे और तकीये के प्रयोग से बचें।क्या आपने देखी है कभी लाल रंग की भिंडी, छत्तीसगढ़ छात्र कर रहे उत्पादन
इसके लिए सख्त और मजबूत गद्दे पर सोएं और गद्दा एक दम सीधा हो जिससे रिढ़ की हड्डी को स्थिर होने में मदद मिले। काम के दौरान जरूरी है की बीच-बीच में व्यायाम जरूर करें। साथ ही गर्दन से जुड़े व्यायाम भी करना चाहिए इससे सर्वाइकल में आराम मिलता है। इससे शरीर की बनावट बनी रहती है और हड्डी का अलाइनमेंट बिगड़ने से बचा रहता है।