रायपुर

Navratri 2024: ये हैं छत्तीसगढ़ की 9 प्रसिद्ध देवियां, दर्शन करने से दूर हो जाती है सारी बाधाएं, देखें तस्वीरें

Navratri 2024: नवरात्र के मौके पर आपको छत्तीसगढ़ के फेमस माता मंदिरों के दर्शन कराने वाले हैं। जिन मंदिरों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं उनके दर्शन मात्र से जिंदगी की सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं।

Oct 08, 2024 / 10:44 am

Khyati Parihar

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मां महामाया: रतनपुर: 12वीं शताब्दी का यह मंदिर पूरे प्रदेश में प्रमुख आस्था का केंद्र है। यहां इस नवरात्रि में 28,000 से ज्यादा मनोकामना ज्योत प्रज्जवलित होंगी। गर्भगृह में आदिशक्ति मां महामाया की साढ़े तीन फीट ऊंची भव्य प्रतिमा स्थापित है।
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गंगा मइया: झलमला : बालोद जिले के झलमला में माता विराजमान हैं। मंदिर का इतिहास 130 साल से अधिक पुराना है। बताया जाता है कि एक बैगा को मां ने स्वप्न में दर्शन दिए थे, जिसके बाद माता की प्रतिमा को तालाब से निकालकर स्थापित किया।
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मां काली: रायपुर : 92 साल पहले आकाशवाणी चौक में काली मंदिर की स्थापना की गई थी। आज इसकी प्रसिद्धि देश-दुनिया में है। देश के विभिन्न राज्यों समेत विदेशी श्रद्धालु भी यहां मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए ज्योत प्रज्ज्वलित करवाते हैं।
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बिलाई माता: धमतरी : मंदिर का इतिहास 250 साल पुराना माना जाता है। माता की उत्पत्ति के संबंध में मार्कंडेय पुराण में उल्लेख है। बिलाई माता के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर की काफी मान्यता है। देवी की मूर्ति लगभग 500-600 साल पहले स्वयं ही प्रगट हुई थीं।
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मां चंद्रहासिनी: सक्ती: महानदी के तट पर बसे चंद्रपुर में पहाड़ी पर विराजमान हैं मां चंद्रहासिनी। मान्यता के अनुसार माता सती का बायां कपोल (Navratri 2024) महानदी के पास स्थित पहाड़ी पर गिरा था। यहां बलि प्रथा का प्रचलन था, लेकिन समय के साथ इसे बंद कर दिया गया।
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दंतेश्वरी माई: शं​खिनी- डंकिनी नदी के तट पर बस्तर की आराध्य मां दंतेश्वरी का मंदिर है। यहां मां की छह भुजाओं वाली गहरे काले रंग की प्रतिमा विराजित है। इसे शक्तिपीठ की भी संज्ञा दी गई है। मान्यता है कि माता सती के दांत यहां गिरे थे।
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मां खल्लारी: महासमुंद : जिला मुख्यालय से 25 किमी की दूरी पर माता का मंदिर पहाड़ों पर है। यहां माता के दर्शन के लिए 981 सीढ़ियां चढ़नी (Navratri 2024) पड़ती हैं, वहीं बुजुर्गों के लिए नीचे माता विराजमान हैं। इस जगह का नाम महाभारत में भी वर्णित है।
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मां बम्लेश्वरी: डोंगरगढ़ : पहाड़ा वाली मां बम्लेश्वरी के दरबार में 3 अक्टूबर से नवरात्र मेले की शुरुआत होगी। श्रद्धालुओं ने यहां ऊपर मंदिर में लगभग 1500 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए हैं। मंदिर का इतिहास करीब 200 साल पुराना है।
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मां चंडी: बागबाहरा: यहां से 4 किमी की दूरी पर घुंचापाली में चंडी माता मंदिर है। पहले यह जगह तंत्र साधना के लिए जानी जाती थी। मंदिर जंगल (Navratri 2024) और पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इस मंदिर में भालू भी आते हैं, जिसे देखने के लिए भी लोग उमड़ते हैं।

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