मां बम्लेश्वरी मंदिर, डोंगरगढ़
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में पहाड़ों के ऊपर स्थित मां बम्लेश्वरी देवी का मंदिर देशभर में प्रसिद्ध हैं। हर साल नवरात्रि के मौके पर यहां मेला लगता है। प्रदेशभर से भक्त यहां माता के दर्शन करने और मनोकामना ज्योति कलश जलाने आते हैं। यहां मां सबकी मनोकामना पूरी करती हैं। नवरात्रि पर माता के भक्त यहां पदयात्रा कर भी पहुंचते हैं। मां बम्लेश्वरी देवी छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी पर विराजमान हैं। जिनका इतिहास काफी पूराना हैं।
दंतेश्वरी मंदिर, दंतेवाड़ा
दंतेवाड़ा जिले में स्थित मां दंतेश्वरी का मंदिर ५१ शक्तिपीठों में एक माना जाता है। मान्यता है कि माता सती का दांत यहां गिरा था इसलिए देवी को यहां पर दंतेश्वरी का रूप माना जाता है। इसलिए इस जगह का नाम भी दंतेवाड़ा पड़ा। यहां माता के दर्शन करने दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। यहां मान्यता है कि आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना जल्द पूरी होती है।
चंडी माता मंदिर, महासमुंद
महासमुंद जिले के बागबहरा के पहाड़ पर स्थित है चंड़ी माता का मंदिर जो घुंचापाली के पहाड़ों पर स्थित हैं। इस मंदिर का इतिहास करीब डेढ़ सौ साल पुराना है। कहा जाता है कि यहां चंडी माता की प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई है। चंडी माता का यह मंदिर पहले तंत्र साधना के लिए मशहूर था।
महामाया मंदिर, बिलासपुर
छत्तीसगढ़ में बिलासपुर से २५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित आदिशक्ति मां महामाया देवी की पवित्र पौराणिक नगरी रतनपुर का इतिहास प्राचीन एवं गौरवशाली है। त्रिपुरी के कलचुरियों की एक शाखा ने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर दीर्घकाल तक छत्तीसगढ़ में शासन किया।
मां जतमई का मंदिर, जतमई-घटारानी
छत्तीसगढ़ में झरनों के बीच बसा मां जतमई का मंदिर रायपुर से ८० किमी की दूरी पर स्थित है। माता का ये मंदिर जंगल के बीचो बीच बसा हूआ है। मां के चरणों को छुकर बहती जलधाराएं यहां पर लोगों को आकर्षित करती हैं। कथाओं के अनुसार ये जलधाराएं माता की सेविकाएं हैं।