यह भी पढें : Train Cancelled : कम नहीं हो रही यात्रियों की समस्याएं, फिर रद्द हुईं 22 ट्रेनें, इधर कांग्रेस ने कहा- साजिश रच रही है मोदी सरकार दरअसल, खमरछठ की पूजा के बाद बच्चे की पीठ पर पोता मारने की परंपरा है। यही ममता की थाप है। महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला ने बताया कि बच्चों की लंबी उम्र के लिए माताओं द्वारा किया जाने वाला छत्तीसगढ़ी संस्कृति का यह ऐसा पर्व है, जिसे हर जाति और वर्ग के लोग मनाते हैं। इस त्योहार को हलषष्ठी, हलछठ, खमरछठ और कमरछठ नाम से भी जाना जाता है।
यह भी पढें : घर के बाड़े में कर रहा था गांजे की खेती, पुलिस ने छापा मारकर दबोचा, कीमत जानकार उड़ जाएंगे होश मंगलवार को इस पर्व पर माताओं ने सुबह से महुआ पेड़ की डाली से दातून करने के बाद स्नान कर व्रत धारण किया। घर के आंगन और मंदिरों में सगरी बनाई गई। इसमें पानी भरा गया। गौरी-गणेश, मिट्टी से बनी हलषष्ठी माता की प्रतिमा और कलश की स्थापना कर पूजा की गई।
साड़ी समेत सुहाग के दूसरी चीजें भी माता को समर्पित की गई। इसके बाद हलषष्ठी माता की 6 कथाएं पढ़ी और सुनाई गईं। इंद्रप्रस्थ फेस-2 बसंत विहार कॉलोनी: निर्जला व्रत रखा बसंत विहार कॉलोनी की महिलाओं ने मंगलवार को निर्जला व्रत रखकर पूजा की। इस दौरान सभी ने साथ मिलकर हलषष्ठी की छह कथाएं सुनीं। बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद रहीं।
यह भी पढें : तीज मिलन उत्सव : बेटी बचाओ मंच के तीज मिलन में सोलह शृंगार, मेहंदी की रंगत डंगनिया: महिला मंडल ने मिल-जुलकर की पूजा संगीत महिला मंडल की सदस्यों ने मंगलवार को मिल-जुलकर खमरछठ पूजा की। इस दौरान संगीता दुबे, शशि कला, रितु, ममता, मंजू, पुष्पा, सुधा, रश्मि, चारु, कमला आदि मौजूद रहीं।
कैलाशपुरी: दोपहर बाद जुटीं महिलाएं कैलाशपुरी विकास परिषद की महिलाओं ने भी खमरछठ पूजा की। सरिता मिश्रा ने व्रत का महत्व बताया। वहीं दीप्ति चंद्रा ने कथा वाचन किया। इस दौरान शीला गोस्वामी, स्नेहलता साहू, विनीता साहू, आयुषी शर्मा आदि मौजूद रहीं।