रायपुर

सितम्बर रहा सितमगर: चार माह में 1000 से अधिक ने गंवाई जान, ये है मौत की 3 बड़ी वजह

अकेले सितंबर में 680 लोगों की सांसें थमी। मौत के बढ़ते ग्राफ ने सरकार को सवालों के कठघरे में खड़ा किया तो अब जाकर जगदलपुर से लेकर लगभग हर जिले में 5200 ऑक्सीजन युक्त बेड बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। मगर, सवाल यह है कि हर बार निर्णय देरी से क्यों लिए जाते हैं…

रायपुरOct 02, 2020 / 11:02 pm

Karunakant Chaubey

रायपुर. प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या अब सरकार के लिए चिंता का उतना बड़ा विषय नहीं रह गई है, जितना की मौतों के आंकड़ों का बढऩा। देखते ही देखते इस जानलेवा बीमारी ने १,००० से अधिक लोगों को अपना शिकार बना लिया। इसमें अकेले सितम्बर में कोरोनाकाल की 60 फीसदी मौतें हुई। और न जाने कितने लोग इसकी जद में आएंगे।

29 मई को बिरगांव नगर निगम अंतर्गत रहने वाले फैक्टरी मजदूर की मौत से जो सिलसिला शुरू हुआ वो थमने का नाम नहीं ले रहा। 29 मई से 31१ अगस्त तक 277 जानें गईं। मगर, सितंबर में हर रोज 22 मरीजों में से किसी ने घर पर, किसी ने अस्पताल की चौखट पर, किसी ने अस्पताल के बिस्तर पर, किसी ने ऑक्सीजन या फिर वेंटीलेटर के अभाव में तो किसी ने पैसों के अभाव में इलाज न मिलने पर दमतोड़ दिया।

लॉकडाउन से खास सफलता नहीं, अब हर घर में दस्तक देकर कोरोना की चेन तोड़ने की है प्लानिंग

अकेले सितंबर में 680 लोगों की सांसें थमी। मौत के बढ़ते ग्राफ ने सरकार को सवालों के कठघरे में खड़ा किया तो अब जाकर जगदलपुर से लेकर लगभग हर जिले में 5200 ऑक्सीजन युक्त बेड बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। मगर, सवाल यह है कि हर बार निर्णय देरी से क्यों लिए जाते हैं…।

ये डॉक्टर व पुलिसकर्मी हार गए कोरोना से जंग (इन सभी की फोटो पीपी साइज में लगाना है)

डॉ. योगेश गवेल, बीजापुर

डॉ. रमेश सिंह ठाकुर, धमतरी

डॉ. आरएस ठाकुर, धमतरी

डॉ. बीपी बघेल, बलौदाबाजार

डीएसपी लक्ष्मण राव चौहान, रायपुर

एएसआई उत्तरा नेताम, रायपुर

16 कोरोना वॉरियर्स को खो दिया, परिजन बोले-नियमों का पालन करें

प्रदेश में 4 डॉक्टर, 5 मेडिकल स्टाफ और 7 पुलिस स्टाफ की कोरोना से मौत हो चुकी है। वहीं 1000 अपनी जान गंवा चुके हैं। तो हमें सबक लेने की जरुरत है। कम से कम अपनी जान के लिए, अपने परिवार के लिए, समाज, प्रदेश-देश के बारे में तो सोचें। लापरवाही त्यागें। नियमों का पालन करें। इन्होंने हमारे इलाज, हमारी सुरक्षा में तैनात रहते हुए जान गवाईं… इनके परिजन, दोस्त कह रहे, नियमों से चलकर ही कोरोना पर जीत है…

मौत होने की 3 बड़ी वजह

पहला- सर्दी, जुकाम, बुखार का घर पर इलाज करना। बीमारी ठीक न होने पर कोरोना जांच करवाना।तब तक मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है।

दूसरा- अचानक से मरीज का ऑक्सीजन लेवल गिरना और फिर ऑक्सीजन न मिलने की वजह से मौत होना।

तीसरा- अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों में रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) कम होती है। जिसकी वजह से कोरोना संक्रमित होने पर मौत हो जाना।इन बीमारी से पीडि़त थे और कोरोना ने घेर लिया- टीबी, डायबिटीज, एचआईवी, गर्भावस्था, कैंसर, बीपी, हद्य रोग और लिवर संबंधी बीमारी।

मरने वालों में सर्वाधिक 50 वर्ष से अधिक के

कोरोना से मरने वालों में सर्वाधिक संख्या 50 साल से अधिक आयुवर्ग के लोगों की है, इनमें भी पुरुष महिलाओं से अधिक हैं। स्पष्ट है कि वायरस अधिक उम्र वालों पर अपेक्षाकृत युवाओं के जल्दी हावी होता है, यानी अपना असर दिखाता है। इसलिए इन्हें सावधानी बरतने की जरुरत है।

एक्सपर्ट व्यू-

जब तक बीमारी की पहचान नहीं होगी तो उसका इलाज शुरू नहीं होगा। अगर, लोग कोरोना कह-कहकर डरेंगे और जांच नहीं करवाएंगे तो गंभीर परिणाम तो सामने आएंगे ही। लक्षण हैं तो पहली प्राथमिकता जांच की होनी ही चाहिए। इसके साथ डॉक्टर से सलाह लें, रिपोर्ट आने का इंतजार किए बगैर दवा खानी शुरू कर दें।

-डॉ. आरके पंडा, विभागाध्यक्ष टीबी एंड चेस्ट, डॉ. आंबेडकर अस्पताल

निश्चित तौर पर कोरोना से मौतें हो रही हैं। इन्हें रोकने के लिए इलाज के पुख्ता बंदोबस्त किए जा रहे हैं। सभी जिलों को निर्देश दिए गए हैं कि गंभीर बीमारी वाले मरीजों को चयनित करे, उनके इलाज में कोई चूक न हो। क्योंकि मौत के आंकड़े में पूर्व से बीमारी से ग्रसित मृतक ज्यादा हैं।

-डॉ. सुभाष पांडेय, प्रवक्ता एवं अध्यक्ष स्टेड डेथ ऑडिट कमेटी, स्वास्थ्य विभाग

‘पत्रिका’ ने उजागर किया सच, मौतें छिपाई जा रही हैं…

प्रदेश में मौत का आंकड़ा 1000 पार हो चुका है। यह आंकड़ा तब १००० से अधिक हुआ है, जब इनमें पुरानी 140 मौतों जोड़ी गई हैं। ये उन कोरोना से संक्रमित लोगों की मौतों की जानकारी है, जो जिले छिपाए बैठे थे। 24 सितंबर को ‘पत्रिका’ ने यह मुद्दा उठाया तो, उसके बाद से सभी जिले पुरानी मौतों की 2-2, 3-3 कर जानकारी राज्य कोरोना कंट्रोल एंड कमांड सेंटर को भेज रहे हैं। 25 सितंबर के बाद से लगातार जारी हो रहे मीडिया बुलेटिन के सबसे आखिर में बिलंव से भेजी गई मौतों की जानकारी होती है।

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