वन अधिकारी वर्तमान में दो तरीकों से हाथियों की लोकेशन निकाल रहे है। पहला तरीका सैटेलाइट और दूसरा तरीका मैन्युअल है। सेटेलाइट से निगरानी रखने वाले वनकर्मी हाथी के गले में लगे कॉलर आईडी से उसका लोकेशन निकालते है। इस प्रक्रिया में 4 घंटे का गैप होने से सही जानकारी नहीं मिलती। मैन्युअल निगरानी में वनकर्मी फील्ड मंे जाकर हाथियों का पता लगाते है। इस पैटर्न से सही लोकेशन निकलती है, लेकिन वर्तमान में बारिश के असर से यह काम वनकर्मी नहीं कर पा रहे है।
बारिश में वनकर्मियों की गश्ती में लगे वाहन और गजराज वाहन जंगल की मिट्टीनुमा मेड़ों पर चल नहीं पाती। इससे वनकर्मी जंगल में पैदल Óयादा दूर गश्त में नहंी निकलते। इससे जंगल में विचरण कर रहे हाथियों की सही जानकारी वनकर्मियों और अधिकारियों को भी नहीं होती। सैटेलाइट के आधार पर लोकेशन निकलती है, इसमे दो टीम अंदाज से हाथियों के संभावित ठिकानों पर जाकर उनपर नजर रखने की कोशिश करती है।
वन अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में हाथियों का दल महासमुंद रेंज के फसेराडीह, केसलडीह, खिरसली और खंडसा क्षेत्र में विचरण कर रहे है। इन सभी गांवों से हाथियों की दूरी 1.36 किमी से 2.50 किमी है। यह जानकारी अफसरों को सैटेलाइट के माध्यम से मिली है। बारिश रुकने पर इन सभी लोकेशनों पर वनकर्मी पहुंचे, लेकिन हाथियों को अपने कैमरों में कैद नहीं कर पाए।