रायपुर

गोधन न्याय योजना में पैसा नहीं मिला, गोठान छोड़ रही महिलाएं

– समूह में कम होती जा रही महिलाएं

रायपुरFeb 11, 2022 / 09:40 am

Dinesh Yadu

Money not received in Godhan Nyay Yojana, women leaving Gothan

रायपुर @ छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh) द्वारा पशु पालक और जैविक खेती (Organic farming) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गोधन न्याय योजना (Godhan Nyay Scheme) का शुभारंभ किया गया है, लेकिन अब धीरे-धीरे गोठानों में गोबर कम आने से महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं को पैसा कम मिल रहा है। योजना के तहत पशुपालकों एवं किसानों से 2 रुपए प्रति किलो की दर से गोबर की खरीद की जाती है। महिला स्वयं सहायता समूह (women self help group) द्वारा गोबर से जैविक खाद, लकड़ी, कंडा व दीये का निर्माण किया जाता है।
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रायपुर नगर निगम द्वारा गोधन न्याय योजना (Godhan Nyay Scheme by Raipur Municipal Corporation) के तहत 9 जगहों पर गोबर की खरीदी केन्द्र बनाया गया है। अब इस गोठानों में स्थिति यह है कि चार माह बाद भी शहर के 9 खरीदी केंद्रों में से किसी समूह की महिलाओं को 50 हजार तो किसी को फूटी कौड़ी भी नहीं मिली।
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डंगनिया स्थित गोबर खरीदी केंद्र की जय लक्ष्मी महिला स्व सहायता समूह अध्यक्ष विमला साहू ने बताया, अक्टूबर 2020 में जब गोबर खरीदी शुरू हुई, तो यहां पर डेयरी संचालक टे्रक्टर से गोबर लाते थे। लेकिन अब गोबर बहुत कम आ रहा है। एक दिन में करीब 40 किलो ही गोबर आ रहा है। सन 2020 से 2021 तक हमलोगों ने करीब १६ लाख रुपए का गोबर खरीदे थे, जिससे दीये, कंडे, गोबर का लकड़ी और वर्मी कंपोस्ट बनाए गए। इससे हम लोगों को करीब तीन लाख रुपए मिले थे। लेकिन पिछले चार महीने में केवल 50 हजार रुपए मिले हैं। समूह में 10 महिलाएं है, अब 50 हजार में मजदूरी का पैसा नहीं मिलने से घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है। जरवाय की अध्यक्ष धनेश्वरी रात्रे ने बताया, जुलाई 2020 में गोठान खुला तब 31 महिलाएं काम में आती थी, लेकिन पैसा नही मिलने के कारण महिलाओं की संख्या दिनों दिन घटती जा रही है।
नारी एकता महिला स्व सहायता समूह भनपुरी की अध्यक्ष शैल साहू ने बताया, १२ महिलाएं काम पर आती थी, लेकिन अब सिर्फ 7 महिलाएं काम कर रही है। हमारे यहां करीब 60 हजार किलो खाद रखा हुआ है, जो अभी तक बिका नहीं है। गोबर बेचने वालों को तो 15 से 20 दिनों में पैसा मिल जाता है। लेकिन हम लोगों को पैसा देरी से मिलता है, जिसके कारण महिलाएं काम नहीं करना चाहती हैं।
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एक साल में सिर्फ दीया, लकड़ी व कंड़ा बिका
डंगनिया गोबर खरीदी केन्द्र की महिलाओं ने बताया, 2020 से 2021 में जैविक खाद की ब्रिकी नहीं हुई है। दीपावली के समय करीब 25 हजार का दीया बिका। वहीं होली के समय गोबर के कंडे व लकड़ी की बिक्री हुई। खाद बिक नहीं रहा है, जिसके कारण महिलाएं चिंतित हैं।

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